मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday 13 February 2022
प्रेम.....
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बनते-बिगड़ते,ठिठकते-बहकते तुम्हारे मन के अनेक अस्थिर, जटिल भाव के बीच सबसे कोमल स्थायी एहसास बनकर निरंतर तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ मैं... ...
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Thursday 10 February 2022
एकमात्र विकल्प
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रश्मि पुंज निस्तेज है मुखौटों का तेज है सुन सको तो सुनो चेहरा पढ़ने में असमर्थ आँखों का मूक आर्तनाद। झुलस रही है तिथियाँ श्रद्धांजलि रीत...
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Tuesday 25 January 2022
भविष्य के बच्चे
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1949 में जन्मे बच्चों की गीली स्मृतियों में उकेरे गये कच्ची मिट्टी, चाभी वाले, डोरी वाले कुछ मनोरंजक खिलौने, फूल,पेड,तितलियाँ, चिडियों,घोंसल...
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Wednesday 19 January 2022
बेचैनियाँ
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हर अभिव्यक्ति के बाद बची हुई अभिव्यक्ति में भावों की गहराई में छुपी अव्यक्तता की अनुभूति सदैव जताती है अभिव्यक्ति के अधूरेपन के समुच्चय को अ...
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Wednesday 12 January 2022
आह्वान.. युवा
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गर जीना है स्वाभिमान से मनोबल अपना विशाल करो न मौन धरो ओ तेजपुंज अब गरज उठो हुंकार भरो। बाधाओं से घबराना कैसा? बिन लड़े ही मर जाना कैसा? तुम ...
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Wednesday 5 January 2022
प्रेम के रंग
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प्रेम कहानियाँ पढ़ते हुए वह स्वयं ही कहानियों का एक पात्र बन जाती है क्योंकि प्रेम की अलौकिक अनुभूतियां महसूसना पसंद है उसे मन के समुंदर ...
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Sunday 19 December 2021
बदलाव का ढोंग
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अंधपरंपराओं पर लिखी गयी प्रसिद्ध पुस्तकें, घिसी-पिटी रीति-रिवाज़ों पर आधारित दैनंदिन जीवन के आडंबर पर प्रस्तुत शोधपत्र लेख,कहानियां, कविताओं...
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Thursday 16 December 2021
समय का आलाप
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शरद में अनगिनत फूलों का रंग निचोड़कर बदन पर नरम शॉल की तरह लपेटकर ओस में भीगी भोर की नशीली धूप सेकती वसुधा, अपने तन पर फूटी तीसी की नाजुक न...
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