मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 1 July 2017
मैं तुमसे मिलने आऊँगी
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हरपल मुझको महसूस करो मैं तुमसे मिलने आऊँगी भोर लाली के रंग चुरा पलकों पे तेरे सजाऊँगी तुम मीठे से मुस्काओगे प्रथम रश्मि की गरमाहट ...
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Friday, 30 June 2017
बचपन
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बचपन का ज़माना बहुत याद आता है लौटके न आये वो पल आँखों नहीं जाता है न दुनिया की फिक्र न ग़म का कहीं जिक्र यादों में अल्हड़ नादानी रह रहक...
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Thursday, 29 June 2017
यादों में तुम
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यादों में तुम बहुत अच्छे लगते हो याद तेरी जैसे गुलाब महकते है अलसायी जैसे सुबह होती है नरम श्वेत हल्के बादलों के बाहों में झूलते हुये...
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Wednesday, 28 June 2017
सौगात
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मुद्दतों बाद रूबरू हुए आईने से खुद को न पहचान सके जाने किन ख्यालों में गुम हुए थे जिंदगी तेरी सूरत भूल गये ख्वाब इतने भर लिए आँखों म...
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Tuesday, 27 June 2017
खिड़कियाँ ज्यादा रखो
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दीवारें कम खिड़कियाँ ज्यादा रखो शोर क्यों करो चुप्पियाँ ज्यादा रखो न बोझ हो सीने में कोई न मलाल हो बिना उम्मीद के नेकियाँ ज्यादा रखो ...
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Sunday, 25 June 2017
उम्मीदों की फेहरिश्त
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आज के ख्वाहिशें इंतज़ार में पड़ी होती है कल की उम्मीदों की फेहरिश्त बड़ी होती है बहते है वक्त की मुट्ठियों से फिसलते लम्हें कम होती ज़िदग...
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Saturday, 24 June 2017
उदासी तुम्हारी
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पल पल तुझको खो जीकर बूँद बूँद तुम्हें हृदय से पीकर एहसास तुम्हारा अंजुरी में भर अनकहे तुम्हारी पीड़ा को छूकर इन अदृश्य हवाओं में घुले ...
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Friday, 23 June 2017
एक दिन
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खुद को दिल में तेरे छोड़ के चले जायेगे एक दिन तुम न चाहो तो भी बेसबब याद आयेगे एक दिन जब भी कोई तेरे खुशियों की दुआ माँगेगा रब से फूल...
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