मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 14 October 2017
रोहिंग्या
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रोहिंग्या इस विषय पर आप क्या सोचते है...कृपया अपने विचारों से जरूर अवगत करवाये। -------- कौन है रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में करीब ...
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Wednesday, 11 October 2017
कूची है तारे....हायकु
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सिवा ख़ुद के कुछ भी न पाओगे आँखों में मेरी भरी पलकें झुका लूँ मैं वरना तुम रो दोगे आदत बुरी पाल ली है दिल ने बातों की...
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Monday, 9 October 2017
उम्र की हथेलियों से
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नज़्म ख़्वाहिशों के बोझ से दबी ज़िदगी की सीली मुट्ठियों में बंद तुड़े-मुड़े परों की सतरंगी तितलियाँ अक्सर कुलबुलाती हैंं...
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Saturday, 7 October 2017
तेरा साथ प्रिय
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जीवन सिंधु की स्वाति बूँद तुम चिरजीवी मैं क्षणभंगुर, इस देह से परे मन बंधन में मादक कुसुमित तेरा साथ प्रिय। पल पल स्पंदित सम्म...
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Wednesday, 4 October 2017
आँख के आँसू छुपाकर
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आँख के आँसू छुपाकर मीठी नदी की धार लिखना, घोंटकर के रूदन कंठ में खुशियों का ही सार लिखना। सूखते सपनों के बिचड़े रोपकर मुस्क...
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Tuesday, 3 October 2017
एक थी सोमवारी
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चित्र साभार गूगल सुबह सुबह अलार्म की आवाज़ सुनकर अलसायी मैं मन ही मन बड़बड़ायी उठ कर बैठ गयी। ऊँघती जम्हाईयाँ लेती अधमूँदी आँखों से बेडर...
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Monday, 2 October 2017
भारत के लाल
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अनमोल रतन दमके भारत के भाल पर एक मूरत सादगी की भारी है हर जाल पर धन्य है मातृभूमि गर्वित पाकर ऐसे लाल को लाल बहादुर क...
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Saturday, 30 September 2017
रावण दहन
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हर बर्ष मन की बुराइयों को मिटाकर श्री राम के आदर्शों पर चलने का संकल्प करते है पुतले के संग रावण की, हृदय की बुराइयों को जलाकर...
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