मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 8 December 2018
स्वप्न
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तन्हाइयों में गुम ख़ामोशियों की बन के आवाज़ गुनगुनाऊँ ज़िंदगी की थाप पर नाचती साँसें लय टूटने से पहले जी जाऊँ दरबार में ठुमरि...
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Wednesday, 28 November 2018
नेह की डोर
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मन से मन के बीच बंधी नेह की डोर पर सजग होकर कुशल नट की भाँति एक-एक क़दम जमाकर चलना पड़ता है टूटकर बिखरे ख़्वाहिशों के सित...
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Sunday, 25 November 2018
थोड़ा-सा रुमानी हो लें
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ज़िंदगी की उदासियों में चुटकी भर रंग घोलें अश्क में मुहब्बत मिला कर थोड़ा-सा रुमानी हो लें दर्द को तवज्ज़ो कितना दें दामन र...
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Wednesday, 21 November 2018
आपके एहसास ने
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आपके एहसास ने जबसे मुझे छुआ है सूरज चंदन भीना,चंदनिया महुआ है मन के बीज से फूटने लगा है इश्क़ मौसम बौराया,गाती हवायें फगुआ है ...
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Saturday, 10 November 2018
रंग मुस्कुराहटों का
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उजालों की खातिर,अंधेरों से गुज़रना होगा उदास हैं पन्ने,रंग मुस्कुराहटोंं का भरना होगा यादों से जा टकराते हैंं इस उम्मीद से पत्थ...
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Wednesday, 7 November 2018
आस का नन्हा दीप
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दीपों के जगमग त्योहार में नेह लड़ियों के पावन हार में जीवन उजियारा भर जाऊँ मैं आस का नन्हा दीप बनूँ अक्षुण्ण ज्योति बनी रहे ...
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Saturday, 3 November 2018
माँ हूँ मैं
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गर्व सृजन का पाया बीज प्रेम अंकुराया कर अस्तित्व अनुभूति सुरभित मन मुस्काया स्पंदन स्नेहिल प्यारा प्रथम स्पर्श तुम्हारा ...
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Monday, 29 October 2018
मन मेरा तुमको चाहता है
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गिरह प्रश्न सुलझा जाओ प्रियतम तुम ही समझा जाओ क्यूँ साथ तुम्हारा भाता है? नित अश्रु अर्ध्य सींचित होकर प्रेम पुष्प हरियाता ...
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