मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 26 January 2019
एक त्योहार
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(१) सत्तर वर्षों से ठिठुरता गणतंत्र पदचापों की गरमाहट से जागकर कोहरे में लिपटा राजपथ पर कुनमुनाता है। गवाह प्राची...
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Friday, 25 January 2019
गीत
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गणतंत्र दिवस पर एक आम आदमी के मन का गीत ---- जीवन के हर दिवस के कोरे पृष्ठ पर, वह लिखना चाहता है अपने सिद्धांत,ऊसूल, ...
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Wednesday, 23 January 2019
याद का दोना
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क्षितिज का सिंदूरी आँचल मुख पर फैलाये सूरज सागर की इतराती लहरों पर बूँद-बूँद टपकने लगा। सागर पर पाँव छपछपता लह...
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Friday, 18 January 2019
मन मेरा
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मन मेरा औघड़ मतवाला पी प्रेम भरा हाला प्याला मन मगन गीत गाये जोगी चितचोर मेरा मुरलीवाला मंदिर , मस्जिद न गुरुद्वारा गिरिजा ...
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Wednesday, 16 January 2019
समानता
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देह की परिधियों तक सीमित कर स्त्री की परिभाषा है नारेबाजी समानता की। दस हो या पचास कोख का सृजन उसी रजस्वला काल ...
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Saturday, 12 January 2019
शब्द
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मौन हृदय के आसमान पर जब भावों के उड़ते पाखी, चुगते एक-एक मोती मन का फिर कूजते बनकर शब्द। कहने को तो कुछ भी कह लो न कहना जो...
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Wednesday, 9 January 2019
दर्दे दिल...
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दर्दे दिल की अजब कहानी है होंठों पर मुस्कां आँखों में पानी है जिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये उस राजा की कोई और रानी है ...
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Thursday, 3 January 2019
हर क्षण से.....
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नवतिथि का स्वागत सहर्ष नव आस ले आया है वर्ष सबक लेकर विगत से फिर पग की हर बाधा से लड़कर जीवन में सुख संचार कर लो हर क्षण से ...
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