मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 22 June 2019
बरखा
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लह-लह,लह लहकी धरती उसिनी पछुआ सहमी धरती सही गयी न नभ से पीड़ा भर आयी बदरी की अँखियाँ लड़ियाँ बूँदों की फिसल गयी टप-टप टिप-टिप बर...
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Monday, 17 June 2019
सफेद कोट वाले भगवान से...
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साक्षात अवतार बीमार गरीब के लिए जीवनदाता हैं सफेद कोट वाले भगवान सर्दी,कफ़,बुखार से घरघराते नन्हे-नन्हे बच्चे हाथ,पाँव पर...
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Thursday, 13 June 2019
न वो नसीब मेरा
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तन्हाई में जब उनकी याद सुगबुगाती है धड़कनें खास अंदाज़ में सिहर जाती है वो जो कह गये बातें आधी-अधूरी-सी दिल की तह से टकराकर छनछन...
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Tuesday, 11 June 2019
कितने जनम..
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रह-रह छलकती ये आँखें है नम। कसमों की बंदिश है बाँधे क़दम।। गिनगिन के लम्हों को कैसे जीये, समझो न तुम बिन तन्हा हैं हम। सजदे म...
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Monday, 10 June 2019
तोड़कर तिमिर बंध
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चीर सीना तम का सूर्य दिपदिपा रहा तोड़कर तिमिर बंध भोर मुस्कुरा रहा उठो और फेंक दो तुम जाल जो अलसा रहा जो मिला जीवन से उसको ...
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Friday, 7 June 2019
रात
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अक्सर जब शाम की डोली थके हुये घटाओं के शानों से उतरती है छनकती चाँदनी की पाजेब से टूटकर घुँघरू ख़्वाबों के आँगन बिखरती है ...
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Tuesday, 4 June 2019
तुम्हारी आँखें
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ठाठें मारता ज्वार से लबरेज़ नमकीन नहीं मीठा समुंदर तुम्हारी आँखें तुम्हारे चेहरे की मासूम परछाई मुझमें धड़कती है प्रतिक्षण ...
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Monday, 3 June 2019
सावित्री
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वैज्ञानिक विश्लेषण में सारहीन,अटपटा ... फिर भी .. कच्चे धागे लपेटकर बरगद की फेरी नाक से माँग तक टीका गया पीपा सिंदूर, आँच...
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