मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 2 August 2019
#मन#
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क्षणिकायें ------- जब भी तुम्हारे एहसास पर लिखती हूँ कविता धूप की जीभ से टपके बूँदभर रस से बनने लगता है इंद्रधनुष। सरस...
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Thursday, 1 August 2019
साधारण स्त्री
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करारी कचौरियाँ, मावा वाली गुझिया, रसदार मालपुआ, खुशबूदार पुलाव, चटपटे चाट, तरह-तरह के व्यंजन चाव से सीखती क्योंकि उसे ...
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Tuesday, 30 July 2019
मुर्दों के शहर में
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सुनो! अब मोमबत्तियाँ मत जलाओ हुजूम लेकर चौराहों को मत जगाओ नारेबाज़ी झूठे आँसुओं की श्रंद्धाजलि इंसाफ़ के नाम पर मज़ाक मत बनाओ ...
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Thursday, 25 July 2019
कैसी होंगी?
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कारगिल दिवस(26 जुलाई) वीर सपूतों के नाम घर से दूर वतन के लिए प्राण न्योछावर करने को हर पल तैयार एक सैनिक मन ही मन अपने परिवार के लिए ...
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Monday, 22 July 2019
कोख
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स्त्री अपनी पूर्णता कोख में अंकुरित, पल्लवित बीज, शारीरिक,मानसिक, जैविक बदलाव महसूस कर गर्वित होती है जो प्रत्यक्ष द...
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Thursday, 18 July 2019
चंदन का झूला....
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चंदन का झूला हो फूलों भरा पालना सपनों की परियाँ तुम दिन में भी जागना नाजुक-सी राजरानी बिटिया हमारी है सुन लो ओ चंदा तुम जी भर न ...
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Monday, 15 July 2019
सावन
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मानसून के शुरुआत में चंद छींटे और बौछार, उसके बाद तो पूरा अषाढ़ बीत गया बरखा रानी हमारे शहर बरसना भूल गयी है। घटायें छाती हैं उम्मीद बँ...
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Friday, 12 July 2019
तीसरे.पहर
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सुरमई रात के उदास चेहरे पर कजरारे आसमां की आँखों से टपकती है लड़ियाँ बूँदों की झरोखे पे दस्तक देकर जगाती है रात के तीसरे पहर ...
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