मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 1 May 2022
मजदूर दिवस
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चित्र: मनस्वी प्राजंल सभ्यताओं की नींव के आधार इतिहास के अज्ञात शिल्पकार, चलो उनके लिए गीत गुनगुनाये मजदूर दिवस सम्मान से मनाये। पसीने से व...
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Friday, 22 April 2022
पृथ्वी का दुःख
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वृक्ष की फुनगी से टुकुर-टुकुर पृथ्वी निहारती चिड़िया चिंतित है कटे वृक्षों के लिए...। धूप से बदरंग बाग में बेचैन,उदास तितली चितिंत है फू...
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Saturday, 9 April 2022
गीत अधूरा प्रेम का
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गीत अधूरा प्रेम का, रह-रहकर मैं जाप रही हूँ। व्याकुल नन्ही चिड़िया-सी एक ही राग आलाप रही हूँ। मौसम बासंती स्वप्नों का क्षणभर ठहरा, पाँखें मन...
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Thursday, 24 March 2022
अल्पसंख्यक
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विश्व के इतिहास में दर्ज़ अनगिनत सभ्यताओं में भीड़ की धक्का-मुक्की से अलग होकर अपनी नागरिकता की फटी प्रतियाँ लिए देशों,महादेशों, समय के मध्यां...
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Thursday, 17 March 2022
रंग
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भोर का रंग सुनहरा, साँझ का रंग रतनारी, रात का रंग जामुनी लगता है...। हया का रंग गुलाबी, प्रेम का रंग लाल, हँसी का रंग हरा लगता है...। कल्प...
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Wednesday, 9 March 2022
क्यों अधिकार नहीं...
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समय के माथे पर पड़ी झुर्रियाँ गहरी हो रही हैं। अपनी साँसों का स्पष्ट शोर सुन पाना जीवन-यात्रा में एकाकीपन के बोध का सूचक है। इच्छाओं की चार...
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Thursday, 24 February 2022
युद्ध...
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युद्ध की बेचैन करती तस्वीरों को साझा करते न्यूज चैनल, समाचारों को पढ़ते हुए उत्तेजना से भरे हुए सूत्रधार शांति-अशांति की भविष्यवाणी, समझौ...
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Sunday, 13 February 2022
प्रेम.....
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बनते-बिगड़ते,ठिठकते-बहकते तुम्हारे मन के अनेक अस्थिर, जटिल भाव के बीच सबसे कोमल स्थायी एहसास बनकर निरंतर तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ मैं... ...
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