मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Sunday, 19 November 2017
दो दिन का इश्क़
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मेरी तन्हाइयों में तुम्हारा एहसास कसमसाता है, तुम धड़कनों में लिपटे हो मेरी साँसें बनकर। बेचैन वीरान साहिल पे बिखर...
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Thursday, 7 September 2017
मोहब्बत की रस्में
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* चित्र साभार गूगल* मोहब्बत की रस्में अदा कर चुके हम मिटाकर के ख़ुद को वफ़ा कर चुके हम इबादत में कुछ और दिखता नहीं है सज़दे में उन को...
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Monday, 17 July 2017
हायकु
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आवारा मन भटके आस पास बस तेरे ही कोई न सही पर हो सब तुम मानते तो हो तुम्हें सोचूँ न ऐसा कोई पल हो जाना ही नहीं ...
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Friday, 14 July 2017
रात के सितारें
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अंधेरे छत के कोने में खड़ी आसमान की नीले चादर पर बिछी नन्हें बूटे सितारों को देखती हूँ उड़ते जुगनू के परों पर आधे अधूरे ख्वाहिशें रखती ...
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