मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 8 September 2017
मानवता की तलाश
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धर्म,जातिऔर पार्टी के आधार पर कर्मों को अपने हिसाब से विचारों के तराजू पर व्यवस्थित कर तोलते, एक एक दाने को मसल मसल कर कंकड़ ढूँढ...
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Thursday, 7 September 2017
मोहब्बत की रस्में
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* चित्र साभार गूगल* मोहब्बत की रस्में अदा कर चुके हम मिटाकर के ख़ुद को वफ़ा कर चुके हम इबादत में कुछ और दिखता नहीं है सज़दे में उन को...
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Wednesday, 6 September 2017
घोलकर तेरे एहसास
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अश्आर ----- घोलकर तेरे एहसास जेहन की वादियों में मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर तेरा ख्याल धड़कनों की ताल पर गूँजता...
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Tuesday, 5 September 2017
इंतज़ार
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स्याह रात के तन्हा दामन में लम्हा लम्हा सरकता वक्त, बादलों के ओठों पर धीमे धीमें मुस्कुराता स्याह बादल के कतरों के बीच शफ्फाक ही...
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Monday, 4 September 2017
मधु भरे थे
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जद्दोज़हद में जीने की, हम तो जीना भूल गये मधु भरे थे ढेरों प्याले, लेकिन पीना भूल गये।। बचपन अल्हड़पन में बीता, औ यौवन मदहोशी में सपने ...
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Saturday, 2 September 2017
देहरी
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चित्र- साभार गूगल तन और मन की देहरी के बीच भावों के उफनते अथाह उद्वेगों के ज्वार सिर पटकते रहते है। देहरी पर खड़ा अपनी मनचाही इ...
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Thursday, 31 August 2017
क्षणिकाएँ
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ख्वाहिशें रक्तबीज सी पनपती रहती है जीवनभर, मन अतृप्ति में कराहता बिसूरता रहता है अंतिम श्वास तक। ••••••••••••••••••••••••••• मौ...
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Wednesday, 30 August 2017
उनकी याद
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*चित्र साभार गूगल* तन्हाई में छा रही है उनकी याद देर तक तड़पा रही है उनकी याद काश कि उनको एहसास होता कितना सता रही है उनकी याद एक ...
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