मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 7 October 2017
तेरा साथ प्रिय
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जीवन सिंधु की स्वाति बूँद तुम चिरजीवी मैं क्षणभंगुर, इस देह से परे मन बंधन में मादक कुसुमित तेरा साथ प्रिय। पल पल स्पंदित सम्म...
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Wednesday, 4 October 2017
आँख के आँसू छुपाकर
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आँख के आँसू छुपाकर मीठी नदी की धार लिखना, घोंटकर के रूदन कंठ में खुशियों का ही सार लिखना। सूखते सपनों के बिचड़े रोपकर मुस्क...
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Tuesday, 3 October 2017
एक थी सोमवारी
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चित्र साभार गूगल सुबह सुबह अलार्म की आवाज़ सुनकर अलसायी मैं मन ही मन बड़बड़ायी उठ कर बैठ गयी। ऊँघती जम्हाईयाँ लेती अधमूँदी आँखों से बेडर...
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Monday, 2 October 2017
भारत के लाल
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अनमोल रतन दमके भारत के भाल पर एक मूरत सादगी की भारी है हर जाल पर धन्य है मातृभूमि गर्वित पाकर ऐसे लाल को लाल बहादुर क...
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Saturday, 30 September 2017
रावण दहन
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हर बर्ष मन की बुराइयों को मिटाकर श्री राम के आदर्शों पर चलने का संकल्प करते है पुतले के संग रावण की, हृदय की बुराइयों को जलाकर...
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Thursday, 28 September 2017
नारी हूँ मै
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सृष्टि के सृजन का अधिकार प्रभु रूप सम एक अवतार नारी हूँ मैं धरा पर बिखराती कण कण में खुशबू, सुंगध बहार, आदर्श और नियमोंं...
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Tuesday, 26 September 2017
समन्दर का स्वप्न
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चित्र साभार-गूगल मौन होकर अपलक ताकते हुये मचलती ख़्वाहिशों के, अनवरत ठाठों से व्याकुल समन्दर अक्सर स्वप्न देखता है। खार...
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Friday, 22 September 2017
हरसिंगार
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नीरव निशा के प्रांगन में हैं सर सर मदमस्त बयार, महकी वसुधा चहका आँगन खिले हैं हरसिंगार। निसृत अमृत बूँदे टपकी जले चाँद की...
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