मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 18 October 2017
शहीद....हायकु
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हमारे लिए दीवार बने खड़े वीर जवान बुझा दीपक शहीद के घर में कैसी दिवाली जला के दीप शहीदों के नाम पे सम्मान देना ...
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Tuesday, 17 October 2017
दीवाली
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1) लड़ियाँ नेह के धागों वाली, झड़ियाँ हँसी ठहाकों वाली। जगमग घर का कोना-कोना, कलियाँ मन के तारों वाली। रंग-रंगीली सजी र...
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Sunday, 15 October 2017
नयन बसे
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नयन बसे घनश्याम, मैं कैसे देखूँ जग संसार। पलकें झुकाये सबसे छुपाये, बैठी घूँघटा डार। मुख की लाली देखे न कोई, छाये लाज अपार।...
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Saturday, 14 October 2017
रोहिंग्या
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रोहिंग्या इस विषय पर आप क्या सोचते है...कृपया अपने विचारों से जरूर अवगत करवाये। -------- कौन है रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में करीब ...
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Wednesday, 11 October 2017
कूची है तारे....हायकु
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सिवा ख़ुद के कुछ भी न पाओगे आँखों में मेरी भरी पलकें झुका लूँ मैं वरना तुम रो दोगे आदत बुरी पाल ली है दिल ने बातों की...
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Monday, 9 October 2017
उम्र की हथेलियों से
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नज़्म ख़्वाहिशों के बोझ से दबी ज़िदगी की सीली मुट्ठियों में बंद तुड़े-मुड़े परों की सतरंगी तितलियाँ अक्सर कुलबुलाती हैंं...
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Saturday, 7 October 2017
तेरा साथ प्रिय
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जीवन सिंधु की स्वाति बूँद तुम चिरजीवी मैं क्षणभंगुर, इस देह से परे मन बंधन में मादक कुसुमित तेरा साथ प्रिय। पल पल स्पंदित सम्म...
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Wednesday, 4 October 2017
आँख के आँसू छुपाकर
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आँख के आँसू छुपाकर मीठी नदी की धार लिखना, घोंटकर के रूदन कंठ में खुशियों का ही सार लिखना। सूखते सपनों के बिचड़े रोपकर मुस्क...
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