मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 28 October 2017
तुम बिन.....
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चित्र साभार गूगल तुम बिन बड़ी उदासी है। नयन दरश को प्यासी है।। पवन झकोरे सीले-सीले, रूत ग़मगीन ज़रा-सी है। दरवाज़ें है बंद लबों...
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Tuesday, 24 October 2017
छठ:आस्था का पावन त्योहार
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धरा के जीवन सूर्य और प्रकृति के उपासना का सबसे बड़ा उत्सव छठ पर्व के रूप में मनाया जाता है।बिहार झारखंड एवं उत्तर प्रदेश की ओर आने वाली हर...
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शब्द हो गये मौन
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शब्द हो गये मौन सारे भाव नयन से लगे टपकने, अस्थिर चित बेजान देह में मन पंछी बन लगा भटकने। साँझ क्षितिज पर रोती किरणें रेत प...
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Wednesday, 18 October 2017
शहीद....हायकु
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हमारे लिए दीवार बने खड़े वीर जवान बुझा दीपक शहीद के घर में कैसी दिवाली जला के दीप शहीदों के नाम पे सम्मान देना ...
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Tuesday, 17 October 2017
दीवाली
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1) लड़ियाँ नेह के धागों वाली, झड़ियाँ हँसी ठहाकों वाली। जगमग घर का कोना-कोना, कलियाँ मन के तारों वाली। रंग-रंगीली सजी र...
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Sunday, 15 October 2017
नयन बसे
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नयन बसे घनश्याम, मैं कैसे देखूँ जग संसार। पलकें झुकाये सबसे छुपाये, बैठी घूँघटा डार। मुख की लाली देखे न कोई, छाये लाज अपार।...
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Saturday, 14 October 2017
रोहिंग्या
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रोहिंग्या इस विषय पर आप क्या सोचते है...कृपया अपने विचारों से जरूर अवगत करवाये। -------- कौन है रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में करीब ...
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Wednesday, 11 October 2017
कूची है तारे....हायकु
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सिवा ख़ुद के कुछ भी न पाओगे आँखों में मेरी भरी पलकें झुका लूँ मैं वरना तुम रो दोगे आदत बुरी पाल ली है दिल ने बातों की...
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