मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Wednesday, 21 November 2018
आपके एहसास ने
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आपके एहसास ने जबसे मुझे छुआ है सूरज चंदन भीना,चंदनिया महुआ है मन के बीज से फूटने लगा है इश्क़ मौसम बौराया,गाती हवायें फगुआ है ...
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Saturday, 10 November 2018
रंग मुस्कुराहटों का
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उजालों की खातिर,अंधेरों से गुज़रना होगा उदास हैं पन्ने,रंग मुस्कुराहटोंं का भरना होगा यादों से जा टकराते हैंं इस उम्मीद से पत्थ...
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Wednesday, 7 November 2018
आस का नन्हा दीप
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दीपों के जगमग त्योहार में नेह लड़ियों के पावन हार में जीवन उजियारा भर जाऊँ मैं आस का नन्हा दीप बनूँ अक्षुण्ण ज्योति बनी रहे ...
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Saturday, 3 November 2018
माँ हूँ मैं
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गर्व सृजन का पाया बीज प्रेम अंकुराया कर अस्तित्व अनुभूति सुरभित मन मुस्काया स्पंदन स्नेहिल प्यारा प्रथम स्पर्श तुम्हारा ...
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Monday, 29 October 2018
मन मेरा तुमको चाहता है
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गिरह प्रश्न सुलझा जाओ प्रियतम तुम ही समझा जाओ क्यूँ साथ तुम्हारा भाता है? नित अश्रु अर्ध्य सींचित होकर प्रेम पुष्प हरियाता ...
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Tuesday, 23 October 2018
शरद पूर्णिमा
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रिमझिम-रिमझिम बरसी चाँदनी, तन-मन,रून-झुन, बजे रागिनी। पटल नील नभ श्वेत नीलोफर, किरण जड़ित है शारद हासिनी। परिमल श्यामल कुंतल बा...
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Sunday, 14 October 2018
मन उलझन
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एकाकीपन की बेला में हिय विरहन-सा गाता है धागे भावों के न सुलझे मन उलझन में पड़ जाता है जीवन का गणित सरल नहीं चख अमृत घट बस ...
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Wednesday, 10 October 2018
अनुभूति
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माँ का ध्यान हृदय सदा शान्ति सुधा बरसाती मलयानिल श्वासों में घुल हिया सुरभित कर जाती मौन मगन दैदीप्त पुंज मन भाव विह्वल खो ...
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