मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 13 June 2019
न वो नसीब मेरा
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तन्हाई में जब उनकी याद सुगबुगाती है धड़कनें खास अंदाज़ में सिहर जाती है वो जो कह गये बातें आधी-अधूरी-सी दिल की तह से टकराकर छनछन...
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Tuesday, 11 June 2019
कितने जनम..
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रह-रह छलकती ये आँखें है नम। कसमों की बंदिश है बाँधे क़दम।। गिनगिन के लम्हों को कैसे जीये, समझो न तुम बिन तन्हा हैं हम। सजदे म...
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Monday, 10 June 2019
तोड़कर तिमिर बंध
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चीर सीना तम का सूर्य दिपदिपा रहा तोड़कर तिमिर बंध भोर मुस्कुरा रहा उठो और फेंक दो तुम जाल जो अलसा रहा जो मिला जीवन से उसको ...
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Friday, 7 June 2019
रात
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अक्सर जब शाम की डोली थके हुये घटाओं के शानों से उतरती है छनकती चाँदनी की पाजेब से टूटकर घुँघरू ख़्वाबों के आँगन बिखरती है ...
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Tuesday, 4 June 2019
तुम्हारी आँखें
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ठाठें मारता ज्वार से लबरेज़ नमकीन नहीं मीठा समुंदर तुम्हारी आँखें तुम्हारे चेहरे की मासूम परछाई मुझमें धड़कती है प्रतिक्षण ...
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Monday, 3 June 2019
सावित्री
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वैज्ञानिक विश्लेषण में सारहीन,अटपटा ... फिर भी .. कच्चे धागे लपेटकर बरगद की फेरी नाक से माँग तक टीका गया पीपा सिंदूर, आँच...
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Monday, 27 May 2019
तुम हो तो...
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तुम हो तो तार अन्तर के गीत मधुर गुनगुनाती है प्रतिपल उठती,प्रतिपल गिरती साँसें बुलबुल-सी फुदक-फुदककर शोर मचाती है। बिना छु...
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Wednesday, 15 May 2019
गुलमोहर
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तपती गर्मी में आकुल,व्यथित मानव मन और आँखों को शीतलता प्रदान करता गुलमोहर प्रकृति का अनुपम उपहार है। सूखी कठोर धरती पर अपनी लंबी शा...
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