मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Thursday, 11 May 2023
निर्दोष
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धर्म को पुष्ट करने हेतु आस्था की अधिकता से सुदृढ हो जाती है कट्टरता .... संक्रमित विचारों की बौछारों से से सूख जाता है दर्शन संकुचित मन की ...
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Sunday, 22 January 2023
तितलियों के टापू पर...
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तितलियों के टापू पर मेहमान बन कर जाना चाहती हूँ चाहती हूँ पूछना उनसे- बेफ्रिक्र झूमती पत्तियों को चिकोटी काटकर, खिले-अधखुले फूलों के चटकी...
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Wednesday, 12 October 2022
मौन शरद की बातें
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साँझ के बाग में खिलने लगीं काली गुलाब-सी रातें। चाँदनी के वरक़ में लिपटी मौन शरद की बातें। चाँद का रंग छूटा चढ़ी स्वप्नों पर कलई, हवाओं की...
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Wednesday, 10 August 2022
संदेशवाहक
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अनगिनत चिडियाँ भोर की पलकें खुरचने लगीं कुछ मँडराती रही पेडों के ईर्द-गिर्द कुछ खटखटाती रही दरवाज़ा बादलों का...। कुछ हवाओं संग थिरकती हुई ग...
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Sunday, 17 July 2022
बचा है प्रेम अब भी...।
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आहट तुम्हारी एहसास दिलाती है, मेरी साँसों में बचा है प्रेम अब भी...। काँपती स्मृतियों में स्थिर तस्वीर भीड़ में तन्हाई की गहरी लकीर, हार जाती...
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Thursday, 30 June 2022
आह्वान
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आओ मेरे प्रिय साथियों कुछ हरी स्मृतियाँ संजोये, बिखरे हैं जो बेशकीमती रत्न बेमोल पत्थरों की तरह उन्हें चुनकर सजायें, कुछ कलात्मक कलाकृतियाँ...
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Wednesday, 18 May 2022
तुमसे प्रेम करते हुए...(३)
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सिलवट भरे पन्नों पर जो गीली-सी लिखावट है, मन की स्याही से टपकते, ज़ज़्बात की मिलावट है। पलकें टाँक रखी हैं तुमने भी तो,देहरी पर, ख़ामोशियों की ...
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Sunday, 15 May 2022
शब्द प्रभाव
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चित्र:मनस्वी खौलते शब्दों के छींटे देह पर गिरते ही भाप बनकर मन में समा जाते हैं... असहनीय वेदना से छटपटाता,व्याकुल भीतर ही भीतर सीझता मन मर...
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