मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Friday, 11 August 2017
भूख
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*चित्र साभार गूगल* भूख एक शब्द नहीं स्वयं में परिपूर्ण एक संपूर्ण अर्थ है। कर्म का मूल आधार है भूख बदले हुये स्थान और भाव के सा...
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Wednesday, 9 August 2017
"छोटू"
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आज़ादी का जश्न मनाने के पहले एक नज़र देखिये कंधे पर फटकर झूलती मटमैली धूसर कमीज चीकट हो चुके धब्बेदार नीली हाफ पैंट पहने जूठी प्यालि...
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Tuesday, 8 August 2017
मोह है क्यूँ तुमसे
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चित्र साभार गूगल मोह है क्यूँ तुमसे बता न सकूँगी संयम घट मन के भर भर रखूँ पाकर तेरी गंध मन बहका जा...
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Sunday, 6 August 2017
आवारा चाँद
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दूधिया बादलों के मखमली आगोश में लिपटा माथे पर झूलती एक आध कजरारी लटों को अदा से झटकता मन को खींचता मोहक चाँद झुककर पहाड़ों की खामोश...
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भैय्या तेरी याद
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बचपन की वो सारी बातें स्मृति पटल पर लोट गयी तुम न आओगे सोच सोच भरी पलकें आँसू घोंट गयी वीरगति को प्राप्त हुये तुम भैय्या तुम पर हम...
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Thursday, 3 August 2017
मन मुस्काओ न छोड़ो आस
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मन मुस्काओ न छोड़ो आस जीवन के निष्ठुर राहों में बहुतेरे स्वप्न है रूठ गये विधि रचित लेखाओं में है नीड़ नेह के टूट गये प्रेम यज्ञ की त...
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Wednesday, 2 August 2017
भरा है दिल
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भरा है दिल,पलकों से बह जायेगा भीगा सा कतरा,दामन में रह जायेगा न बनाओ समन्दर के किनारे घरौंदा आती है लहर, ठोकरों में ढह जायेगा रतजगे...
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दिल पे तुम्हारे
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दिल पे तुम्हारे कुछ तो हक हमारा होगा कोई लम्हा तो याद का तुमको प्यारा होगा कब तलक भटकेगा इश्क की तलाश में दिली ख्वाहिश का कोई तो किना...
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