मन के पाखी
*हिंदी कविता* अंतर्मन के उद्वेलित विचारों का भावांकन। ©श्वेता सिन्हा
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Saturday, 4 November 2017
सुरमई अंजन लगा
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सुरमई अंजन लगा निकली निशा। चाँदी की पाजेब से छनकी दिशा।। सेज तारों की सजाकर चाँद बैठा पाश में, सोमघट ताके नयन भी निसृत सुधा...
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Friday, 3 November 2017
मन की नमी
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दूब के कोरों पर, जमी बूँदें शबनमी। सुनहरी धूप ने, चख ली सारी नमी। कतरा-कतरा पीकर मद भरी बूँदें, संग किरणों के, मचाये पुर...
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Wednesday, 1 November 2017
मुस्कान की कनी
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लबों पे अटकी मुस्कान की कनी दिल में गड़ गयी लफ्ज़ों की अनी बातों की उंगलियों से जा लिपटा मन उलझकर रह गयी छुअन में वहीं ...
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Monday, 30 October 2017
शरद का स्वागत
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पहाड़ों का मौसम फ़िज़ांओं में उतर आया है। चाँदनी ने सारी रात खूब नेह बरसाया है। ओस में भीगी फूल और पत्ते ताजग...
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Saturday, 28 October 2017
तुम बिन.....
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चित्र साभार गूगल तुम बिन बड़ी उदासी है। नयन दरश को प्यासी है।। पवन झकोरे सीले-सीले, रूत ग़मगीन ज़रा-सी है। दरवाज़ें है बंद लबों...
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Tuesday, 24 October 2017
छठ:आस्था का पावन त्योहार
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धरा के जीवन सूर्य और प्रकृति के उपासना का सबसे बड़ा उत्सव छठ पर्व के रूप में मनाया जाता है।बिहार झारखंड एवं उत्तर प्रदेश की ओर आने वाली हर...
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शब्द हो गये मौन
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शब्द हो गये मौन सारे भाव नयन से लगे टपकने, अस्थिर चित बेजान देह में मन पंछी बन लगा भटकने। साँझ क्षितिज पर रोती किरणें रेत प...
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Wednesday, 18 October 2017
शहीद....हायकु
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हमारे लिए दीवार बने खड़े वीर जवान बुझा दीपक शहीद के घर में कैसी दिवाली जला के दीप शहीदों के नाम पे सम्मान देना ...
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