Friday 16 February 2018

ब्लॉग की सालगिरह.... चाँद की किरणें

सालभर बीत गये कैसे...पता ही नहीं चला।
हाँ, आज ही के दिन १६फरवरी२०१७ को पहली बार ब्लॉग पर लिखना शुरु किये थे। कुछ पता नहीं था ब्लॉग के बारे में। आदरणीय पुरुषोत्तम जी की रचनाएँ पढ़ते हुये समझ आया कि साहित्य जगत के असली मोती तो ब्लॉग जगत में महासागर में छुपे हैं। हिम्मत जुटाकर  फिर अपने मोबाईल-फोन के माध्यम से ही एक एकाउंट बना लिये हम भी "मन के पाखी "। शुरु में कुछ भी नहीं समझ आता था, कैसे सेटिंग्स करे,कैसे पोस्ट करे, बहुत परेशान होते थे। पहली बार ३ मार्च २०१७ को यशोदा दी ने मेरी रचना लिंक की थी पाँच लिंकों पर। ज्यादा कुछ तो नहीं पता था पर इतना समझ आया कि किसी मंच ने मेरी लिखी रचना पसंद की है। सच बताये तो उस ख़ुशी को शब्दों में लिख पाना संभव नहीं।
फिर धीरे-धीरे समझने लगे सब कुछ, आप सभी के अमूल्य सहयोग से।  "यशोदा दी" का विशेष धन्यवाद मेरे यहाँ तक के सफ़र में , उन्होंने मेरे नन्हें पंखों को उड़ान दी है,उनका स्नेह कभी नहीं भुला पायेंगे।
ब्लॉग में आने के पहले हम गूगल के अलावा कभी कहीं भी किसी भी तरह से एक्टिव नहीं थे। ब्लॉग ने एक नयी पहचान दी, मेरा नाम जो खो गया था, अब मेरा है। एक बेटी,एक बहन एक बहू,एक भाभी ,एक पत्नी, एक माँ और ऐसे अनगिनत रिश्तों में खो गयी "श्वेता" के जीवित होने का एहसास बहुत सुखद है।
आप सभी का हृदयतल से अति आभार प्रकट करते है। उम्मीद है आगे के सफर में आप सब अतुल्य स्नेह और साथ मिलता रहेगा।

मेरी पहली रचना जो यशोदा दी ने लिंक की थी पाँच लिंक पर आपसब के साथ आज शेयर करते हुये बहुत ख़ुशी हो रही।


दिनभर चुन-चुन कर रखी थी
हल्की-हल्की गरमाहटें
धूप के कतरनों से तोड़-तोड़कर
शाम होते ही हल्की हो गयी
हौलै से उड़कर बादलों के संग
हवाओं मे अठखेलियाँ करती
जा पहुँची आकाशगंगा
की अनन्त गहराई में
निहारती तलाशती
आसमां के दामन में सितारों
के बूटे को सहलाती
चाँद के आँगन जा उतरी
एक याद मीठी-सी
चाँदनी की डोर थामे
पीपल के पत्तों पर कुछ देर
थम गयी अलसायी-सी
पिघलती नमी यादों की
जुगनुओं के संग
झरोखों से छनकती पलकों में
आकर समाँ गयी
छेड़ने फिर से ख़्वाबों को
कभी रातभर बतियाने को
जाने ये यादें किस देश से आती है
अपनी नहीं पर एक पल को
अकेला नही रहने देती
कस्तूरी मन की बहकाये रहती
मन बाबरा सब जाने सब समझे
पर खींचा जाये सम्मोहित सा
डूबने को आतुर अपने रंगी संसार मे


#श्वेता🍁

24 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना।
    हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. प्रिय श्वेता ,ब्लॉग की सालगिरह बहुत बहुत मुबारक हो ....
    बस ऐसे ही सुंदर रचनाओं से श्रोताओं का मनोरंजन करती रहिये ...पहली रचना इतनी खूबसूरत है वाह!!हार्दिक शुभकामनाएं ..।

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  3. वाह वाह श्वेता जी .
    बहुत खूबसूरत रचना

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  4. ब्लॉग के सफ़र का एक साल पूरा होने पर बधाई एवं शुभकामनायें. माँ सरस्वती आपकी लेखनी को आशीर्वाद दें. ख़ुशीके अवसर पर अभिव्यक्ति का ख़ूबसूरत अंदाज़-ए-बयान.

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  5. ब्लॉग के सफर की सालगिरह मुबारक हो..
    लिखते रहे ..बहुत सुंंदर रचना।

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  6. जुग-जुग जिए मन के पाँखी...
    हार्दिक शुभकामनाएँँ....
    रविवार को एक ही ब्लाग से में मन के पाँखी की
    रचनाएँ दिखाई देगी....
    सादर....

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  7. सालगिरह मुबारक हो

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  8. प्रफुल्लित हैं हम
    प्रथम वर्ष निर्बाध रूप से पूरा हुए
    दिली शुभकामनाएँ
    सादर

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  9. हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ आदरणीया ।

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  10. मन के जज्बातों को बड़ी खूबसूरती से बयान किया है आपने. ब्लॉग की सफलता‎ के लिए‎ बहुत बहुत‎ बधाई और शुभकामनाएँ श्वेता जी.

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  11. झोंका पुरवाई का.....

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  12. प्रिय श्वेता बहन, ब्लॉग के एक साल का होने की हार्दिक बधाई ! आपके लेखन को पढ़कर हमेशा ऐसा लगता है जैसे आपकी कलम स्याही में नहीं, रंगों और ख़ुशबुओं में डूबकर लिखती है....आप यूँ ही लिखती रहें । माँ सरस्वती की कृपा आप पर बनी रहे ।

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  13. सबसे पहले हार्दिक बधाई और शुहकामनाएँ
    स्वेता जी आप अपनी अलग पहचान रखती हैं ब्लॉग की दुनिया में
    गर्म सूरज की तपन को सहती है
    बर्फ के गोलों को पीती है
    बरसात की बूंदें हैं
    बस यही कामना है कि सर्जनात्मकता को इसी तरह विस्तारित करती रहें
    प्रणाम

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  14. प्रिय स्वेता, पहली सालगिरह की बहुत बहुत शुभकामनाएं। सचमुच सिर्फ एक साल में ब्लॉग जगत में तुमने अपनी पहचान बनाने में बहुत कामयाबी हासिल की हैं। ऐसे ही आगे बढ़े...

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  15. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/02/57.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  16. प्रिय श्वेता बहन -- मुझे लगा आपने मेरी ही कहानी लिख दी | सब कुछ होकर भी अपनी रचनात्मकता को साकार रूप में ना ला पाने की स्थिति में एक इंसान हमेशा अधूरा रहता है | आपने माँ सरस्वती के दिए इस ज्ञान और प्रतिभा को तराश कर ब्लॉग जगत में बहुत कम समय में बहुत ही उंचा स्थान हासिल किया है | आपको हार्दिक बधाई देती हूँ और माँ सरस्वती से प्रार्थना है की आपकी लेखनी की प्रांजलता हमेशा बनी रहे | सस्नेह --

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  17. ब्लॉग के जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई
    बहुत खूबसूरती से आप ने अपने ब्लॉग के सफर की दास्तान बताई
    ब्लॉग धीरे धीरे हमारे ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाता है और
    हमारी पहचान भी .... अपने जैसे अन्य रचनाकारों की रचना पढ़ना और उनकी प्रतिक्रिया देखना एक सुखद अनुभव होता है ....जहां तक बात है यशोदा दी की तो शायद ही कोई रचनाकार हो जो उनकी नजर से बचा हो और उसकी पहचान में दी का हाथ न हो ....हम खुशकिस्मत हैं जो दी हमें बहुत जल्दी मिली और हमें मार्गदर्शन दिया नही तो इन गलियों में शायद ही कोई हमें पहचानता ....अब बात रचना की तो आप की हर रचना आँखों से सीधे मन में उतरती है....

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  18. सभी रिश्तों का अपना महत्व है और सन अपनी अपनी पहचान देते हैं पर नाम की पहचान ख़ुद को अधिक सम्मान देती है ... बहुत। अबट बधाई ब्लॉग की वर्षगाँठ की ...

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  19. ब्लॉग के सफर की सालगिरह मुबारक हो..शहर से बाहर होने की वजह से ....काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ..

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  21. बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग के शुरुआती दिनों के बारे में जानकर, मैं तो अभी भी उलझा हूँ उन्हीं ब्लॉग सेटिंग्स के जंजालों में। हालांकि बहुत देर से पढ़ा हूँ आपका यह पोस्ट, तथापि, एक वर्ष पूरा करने के लिए अनेकानेक शुभकामनाएँ। नित नये कीर्तिमान रचें आप।
    .
    जो पोस्ट आपने शेयर किया है उसकी प्रशंसा किन शब्दों से करूँ, समझ नहीं आ रहा।
    .
    प के कतरनों से तोड़-तोड़कर
    शाम होते ही हल्की हो गयी
    हौलै से उड़कर बादलों के संग
    हवाओं मे अठखेलियाँ करती
    जा पहुँची आकाशगंगा
    की अनन्त गहराई में
    .
    क्या ख़ूब लिखा आपने, शब्द दर शब्द भावों की गूढ़ता और गहराती जा रही है। वाकई अद्वितीय लेखन।
    .
    ब्लॉग पर आने के बाद ही मैंने भी दुनिया देखा, वरना तो "सबसे पहले मेरे घर का
    अंडे जैसा था आकार,
    तब मैं यही समझती थी
    बस इतना सा ही है संसार।" यही पंक्तियाँ चरितार्थ थीं। दूसरे शब्दों में 'कूपमंडूक'
    .
    आभारी हूँ आदरणीया नीतू ठाकुर जी का, जिन्होंने "एहसास" रूपी एक आयाम दिया, और आपके वरदहस्त सम्मुख नतमस्तक, कि आपने ब्लॉग पर "पाँच लिंकों का आनंद" के योग्य समझा।
    .
    'रोटी रोटी का जुगाड़' इसी शीर्षक को प्रत्यक्ष देख ज़िंदगी कट रही है, कभी समय के ज्वार-भाटा से भटक कर तो कभी वसंती हवा में तैर कर। देखते हैं उचित वक्त कब आता है जब जीवन को, लेखन के पटरियों पर स्वच्छंद भागने की मौका मिलेगा।
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    सादर नमन🙏🙏🙏 एवं इतने लंबे लेख के लिए क्षमा प्रार्थी🙏🙏🙏

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  22. बहुत -बहुत बधाई ..आपने इतनी जल्दी ब्लॉग जगत में जो अपनी पहचान बनायीं है उसका कारण आपका उत्तम लेखन है , ऐसे ही लिखती रहिये ... शुभकामनाएं

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  23. Wow what a creativity, your writing and selection of words are both good. Its like golden ring with diamond stone. Waah waah.......

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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