Wednesday 3 April 2019

आकुल रश्मियाँ

पत्थर की सतह पर
लाजवन्ति के गमले केे पीछे
गालों पर हाथ टिकाये
पश्चिमी आसमां के बदलते रंग में
अनगिनत कल्पनाओं में विलीन
निःशब्द मौन साँझ की 
दस्तक सुनती हूँ
पीपल के ऊपरी शाखों से फिसलकर
मेरे चेहरे और बालों तक
पहुँचकर मुझे छूने का 
असफल प्रयास करती
बादलों की बाहों में छुपकर
मुझे निहारती एकटुक गुलाबी किरणें
धीरे-धीरे बादलों की लहरों में डूब गयी
आसमां से निकलकर
बिखर गया एक अजब-सा मौन
छुपी किरणें बादलों के साथ मिलकर
बनाने लगी अनगिनत आकृतियां
गुलाबी पगड़डियाँ,पर्वतों से निकलते
भूरे झरने, सूखे बंजर,सफेद खेत
सिंदुरी समन्दर,
हल्के बैंगनी बादल खोलने लगे
मन के स्याह पिटारों को
सुर्ख मलमल पर सोयी
फड़फड़ाने लगी सुनहरी तितलियाँ
और निकलकर बैठ गयी
मौन शाम के झिलमिलाते मुंडेरों पर
कतारबद्ध मुँह झुकाये चुपचाप
स्याह साँझ में चमकीला रंग घोलती
बेला-सी महकती
मन आँगन में 
संध्या दीप जलाती
मौन साँझ में खिलखिलाती
झर-झर झरती
एहसास की
आकुल रश्मियाँ

#श्वेता सिन्हा

25 comments:

  1. प्राकृति के हर रंग को गूंथ कर गहरे एहसास की नाज़ुक रश्मियों के साथ पिरो दिया है ... बहुत ही सुन्दर रचना ...

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  2. वाह !बहुत सुन्दर श्वेता जी
    सादर

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  3. कंहा निशिगंधा महका
    बांसती सी महक उड़ उड़ आई
    क्या नंदन बन महका
    या कविता से सौरभ छाई।

    वाह श्वेता ¡
    अप्रतिम ¡पवन के हिण्डोले पर झूलती सरस रचना।

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  4. एहसास की आकुल रश्मियाँ और प्रकृति की सजीव चित्रात्मकता बहुत ही मनभावन है प्रिय श्वेता |नाज़ुक से एहसास मन को स्पर्श करते हैं | सस्नेह शुभकामनायें और प्यार |

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  5. आपके अंदाज व आकर्षक शैली में पिरोई सुंदर रचना। शुभकामनाएं स्वीकार करें ।

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  6. वा...व्व...बहुत ही सुंदर रचना, श्वेता दी।

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  7. अति सुन्दर रचना

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  8. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (6-04-2019) को " नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं " (चर्चा अंक-3297) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    अनीता सैनी

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  9. निःसंदेह श्रेष्ठ सृजन।

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  10. प्रकृति पर मनोरम सृजन श्वेता जी ।

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  11. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" l में लिंक की गई है। https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/04/116.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  12. बहुत सुंदर रचना 👌

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  13. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)

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  14. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 मार्च 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  15. वाह !श्वेता ,बहुत खूबसूरत सृजन ।

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  16. स्याह साँझ में यूँ ही चमकीले रंग भरते रहें ,मन के दीप भी मन आँगन में जलते रहें , मौन संध्या में एहसास की रश्मियाँ खिलखिलाती रहें और तुम ठोड़ी हथेली पर टिका सोचते हुए बस लिखती रहो । सुंदर चित्रण

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    1. लाज़बाब.... संगीता जी सादर नमन

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  17. प्रकृति की मनोरम छटा का सुंदर चित्रण ,सादर नमन

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  18. बहुत सुंदर मनभावन चित्रण..

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  19. सुकोमल एहसासों से सजा शब्द चित्र। एक बार फिर पढ़ अच्छा लगा प्रिय श्वेता। शुभकामनाएँ और बधाई।

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  20. हर एक की तरह ये भी बहुत अच्छी और चित्र खिंचती हुई रचना।
    प्रकृति का मन-भावन मनोरम दृश्य

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  21. जब भी पढ़ो मन में अनुराग जगाती सुंदर रचना।

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  22. आदरणीया मैम ,
    एक खूबसूरत शाम का बहुत सुंदर वर्णन। सच , अस्त होते सूर्य की किरणे जब बादलों पर अपनी लालिमा बिखेरतीं हैं तो बहुत ही सुंदर दृश्य होता है। आपकी यह रचना इतनी सुंदर अनुभूतियों से भरी हुई है की मन अपने आप शांत और आनंदित हो जाता है।
    एक बहुत ही प्यारी शाम में एकांत का अनुभव।
    सुंदर रचना के लिए अत्यंत आभार।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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