No posts with label बदलाव का ढ़ोंग....छंदमुक्त कविता #'सामाजिक# चिंतन. Show all posts
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मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...