युद्ध की बेचैन करती
तस्वीरों को साझा करते
न्यूज चैनल,
समाचारों को पढ़ते हुए
उत्तेजना से भरे हुए
सूत्रधार
शांति-अशांति की
भविष्यवाणी,
समझौता के अटकलों
और सरगर्मियों से भरी बैठकें
विशेषज्ञों के कयास
उजड़ी आबादी
बारूद,बम,टैंकरों, हेलीकॉप्टरों की
गगन भेदी गड़गड़ाहटों वाले
वीडियो,रक्तरंजित देह,बौखलायी
बेबस भीड़,रोते-बिलखते बच्चे
किसी चित्रपट की रोमांचक
तस्वीरें नहीं
महज एक अशांति का
समाचार नहीं
तानाशाह की निरंकुशता,
विनाश के समक्ष दर्शक बने
बाहुबलियों की नपुंसकता,
यह विश्व के
नन्हे से हिस्से में उठती
चूल्हे की चिंगारी नही
आधिपत्य स्थापित
करने की ज़िद में
धरती की कोख को
बारूद से भरकर
पीढ़ियों को बंजर करने की
विस्फोटक भूमिका है।
तस्वीरों को साझा करते
न्यूज चैनल,
समाचारों को पढ़ते हुए
उत्तेजना से भरे हुए
सूत्रधार
शांति-अशांति की
भविष्यवाणी,
समझौता के अटकलों
और सरगर्मियों से भरी बैठकें
विशेषज्ञों के कयास
उजड़ी आबादी
बारूद,बम,टैंकरों, हेलीकॉप्टरों की
गगन भेदी गड़गड़ाहटों वाले
वीडियो,रक्तरंजित देह,बौखलायी
बेबस भीड़,रोते-बिलखते बच्चे
किसी चित्रपट की रोमांचक
तस्वीरें नहीं
महज एक अशांति का
समाचार नहीं
तानाशाह की निरंकुशता,
विनाश के समक्ष दर्शक बने
बाहुबलियों की नपुंसकता,
यह विश्व के
नन्हे से हिस्से में उठती
चूल्हे की चिंगारी नही
आधिपत्य स्थापित
करने की ज़िद में
धरती की कोख को
बारूद से भरकर
पीढ़ियों को बंजर करने की
विस्फोटक भूमिका है।
आज जब फिर से...
स्वार्थ की गाड़ी में
जोते जा रहे सैनिक...
अनायास ही बदलने लगा मौसम
माँ की आँखों से
बहने लगे खून,
प्रेमिकाएँ असमय बुढ़ा गयी
खिलखिलाते,खेलते बच्चे
भय से चीखना भूल गये,
फूल टूटकर छितरा गये
तितलियाँ घात से गिर पड़ीं
आसमान और धरती
धुआँ-धुआँ हो गये,
फूल टूटकर छितरा गये
तितलियाँ घात से गिर पड़ीं
आसमान और धरती
धुआँ-धुआँ हो गये,
उजड़ी बस्तियों की तस्वीरों के
भीतर मरती सभ्यता
इतिहास में दर्ज़
शांति के सभी संदेशों को
झुठला रही है..
कल्पनातीत पीड़ा से
भावनाशून्य मनुष्य की आँखें
चौंधिया गयी हैं
जीवन के सारे रंग
लील लेता है
युद्ध...।
लील लेता है
युद्ध...।
-श्वेता सिन्हा
२४ फरवरी २०२२