अवतारों की प्रतीक्षा में
स्व पर विश्वास न कम हो
तेरी कर्मठता की ज्योति
सूर्यांश,तारों के सम हो।
सतीत्व की रक्षा के लिए
चमत्कारों की कथा रहने दो,
धारण करो कृपाण,कटार
आँसुओं को व्यर्थ न बहने दो।
व्याभिचारियों पर प्रहार प्रचंड
उष्मा ज्वालामुखी सम हो।
अवतारों की प्रतीक्षा में
स्व पर विश्वास न कम हो।
प्रार्थनाओं में,ध्यानस्थ होकर
बस टेर लगाना पर्याप्त नहीं,
भावनाओं की जड़ों को सींचो
मानवीय मूल्य सर्वव्याप्त नहीं।
अपने जीवन के कुरूक्षेत्र में
तुम ही अर्जुन के सम हो।
अवतारों की प्रतीक्षा में
स्व पर विश्वास न कम हो।
करो कृष्ण को महसूस
सद्कर्म कल्कि का अंश है,
प्रेम,दया,सत्य में अमिट
हर युग में कृष्ण का वंश है।
संवेदनाओं को जीवित रखो,
मनुष्यता का मर्म कृष्ण सम हो।
अवतारों की प्रतीक्षा में
स्व पर विश्वास न कम हो।
#श्वेता सिन्हा
३० अगस्त २०२१