Friday, 27 August 2021

विचार

विचार
मन के कोरे कैनवास पर
मात्र भावनाओं की
बचकानी या परिपक्व कल्पनाओं के
खोखले कंकाल ही नहीं गढ़ते
विचार बनाते है 
जीवन के सपाट पृष्ठों पर
सफल-असफल भविष्य के 
महत्वपूर्ण रेखाचित्र। 

 विचार
चाक पर रखे गीली मिट्टी को
धीरे-धीरे थपथपाकर
गढ़ते हैं  विविध पात्र,
पकाते हैंं भट्टियों में
ताकि मिट्टी का स्वप्न
आकार लेकर 
मजबूत भविष्य बने।
 
 विचार
बीज से वृक्ष तक की यात्रा में
अपनी नाजुक टहनियों से
सुदृढ़ तना होने तक
तितलियों और परिंदों को
देते हैं भय से मुक्ति,
साहस,सुरक्षा और उड़ान
या फिर स्व के इर्द-गिर्द लिपटे
अपने बिल में सिमटे सरीसृपों-सा
रीढ़विहीन संसार।

विचार
असमर्थता की माँद में सोती
मासूम नींद की
अपरिभाषित,अपरिचित,
नवजात दृश्यों के स्पर्श का 
निरीह कर्त्तव्यबोध होता है,
बहती धाराओं के तल के अनजान
नुकीले पत्थरों से
क्षतिग्रस्त मछलियों के पंख, 
इच्छाओं के विरूद्ध 
असंभवों को जीतने की विफलताओं की
अनंत व्यथाएँ
कभी सूखने नहीं देता
विचारों का गीलापन।

विचार
अपने विभिन्न प्रकारों में
अच्छे-बुरे
शुद्ध-अशुद्ध
ऐच्छिक-अनैच्छिक
परिपक्व-अपरिपक्व की
परिभाषाओं में
 गूढ़ पहेलियों के
अनजान छोर को ढूँढने में 
अधिकांशतः
परिस्थितियों के अनुरूप 
बुलबुले-सा विलीन हो जाते हैं
जीवन के निरंतर बहाव में...
परंतु कुछ विचार
सामान्य अवधारणाओं के
शिलापट्ट को कुरेदकर
पथप्रदर्शक के
अमिट पदचिह्न बनाकर
अमरत्व प्राप्त करते है।
------------
श्वेता सिन्हा
२७ अगस्त २०२१


17 comments:

  1. विचारों का उत्तम विश्लेषण...
    ये विचार ही तो हैं जो इतनी गहन रचना लिखवा लेते हैं। विचार परिस्थितियों के अनुसार बदलते रहते हैं। वास्तव में यदि संसार में सबसे ज्यादा परिवर्तन शील विचार ही होते हैं। परंतु कुछ विचार सिद्धांत का रूप धारण कर लेते और अमर हो जाते हैं।
    परंतु कुछ विचार
    सामान्य अवधारणाओं के
    शिलापट्ट को कुरेदकर
    पथप्रदर्शक के
    अमिट पदचिह्न बनाकर
    अमरत्व प्राप्त करते है।
    बहुत सुंदर रचना।

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    Replies
    1. जी दी
      प्रणाम।
      आपकी त्वरित सराहनायुक्त प्रतिक्रिया पाकर बहुत अच्छा महसूस हो रहा।
      मन से बहुत आभारी हूँ दी।

      सस्नेह शुक्रिया
      सादर।

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  2. विचारों को परिभाषित करती गहन रचना में उकेरा चिन्तन हृदय के बहुत करीब लगा । सस्नेह वन्दे श्वेता जी ।

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  3. विचारों का विचार पथ। संभावनाओं का सकल संयोजन।

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 29 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. कुछ विचार
    परिस्थितियों के अनुरूप
    बुलबुले-सा विलीन हो जाते हैं
    जीवन के निरंतर बहाव में...
    परंतु कुछ विचार
    सामान्य अवधारणाओं के
    शिलापट्ट को कुरेदकर
    पथप्रदर्शक के
    अमिट पदचिह्न बनाकर
    अमरत्व प्राप्त करते है।
    विचारों पर बहुत ही सटीक विश्लेषण
    यूँ विचारों को विचारों से बाहर निकाल कलमबद्ध करना कोई आपसे सीखे...
    लाजवाब सृजन।
    वाह!!!

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  6. प्रशंसनीय रचना है यह श्वेता जी आपकी। विशेषतः प्रथम एवं अंतिम भाग मुझे अत्यंत पसंद आए।

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  7. कुछ विचार जीवन की आपाधापी में कुछ समय के लिए विलीन भले ही हो जाएँ लेकिन मस्तिष्क के किसी कोने में रह जाते हैं और फिर वैसी ही परिस्थिति आने पर अचानक ही हो जाये हैं अंकुरित । विचारों पर इतना विचार कर जो विश्लेषण किया गया तो बनी है एक परिपक्कव रचना । इस पर अपना कोई विचार देना कम से कम मुझे तो संभव नहीं लग रहा ।
    कितनी ही बार पढ़ चुकी हूँ इसे ..... हर बार कुछ नया से विचार आता है मन में ।
    जो विचार मन के शिलापट्ट पर लिख दिए जाते वो अमरत्व प्राप्त करते लेकिन विलीन कुछ नहीं होते ।
    मिट्टी के बर्तनों की तरह गढ़ते हैं विचारों को और जीवन के अनुभवों की आँच पर पकते हैं तभी पक्के होते हैं ।कभी कभी आप मन में विचार कुछ और रखते हैं लेकिन दुनियादारी के चलते औरों के समक्ष उनको रख नहीं पाते तो हो जाते हैं वो रीढ़विहीन जैसे ।
    सच तो ये है कि तुमने जो इस पटल पर विचारों को गढ़ा है उसकी थाह पाना बड़ी टेढ़ी खीर है । कहाँ तक समझ पाए ये तो तुम ही बताओगी ।।
    सस्नेह ।

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  8. अमूल्य अतुलनीय बहुत सुंदर सारगर्भित रचना

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  9. सुंदर रचना , बहुत बधाइयाँ आदरणीय ।

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  10. विचार को परिभाषित करती एक महत्वपूर्ण रचना, बड़ी गहनता और चिंतन के साथ लिखी गई एक सारगर्भित और परिपूर्ण रचना,बधाई हो श्वेता जी,हमेशा सुंदर और गूढ़ लिखती रहें ।

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  11. विचार से निर्विचार तक की दार्शनिक यात्रा में न जाने कितने पड़ावों पर ठहराव हो रहा है । हर पड़ाव एक नया राह दिखा रहा है । अत्यन्त गहन सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।

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  12. बेहतरीन रचना श्वेता जी।

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  13. विचार पर गूढ़ विचार प्रेषित करता गहन दर्शन समेटे अभिनव सृजन।
    बहुत गहरा चिंतन श्वेता , सुंदर अन्वेषण देती रचना।

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  14. विचार
    चाक पर रखे गीली मिट्टी को
    धीरे-धीरे थपथपाकर
    गढ़ते हैं विविध पात्र,
    पकाते हैंं भट्टियों में
    ताकि मिट्टी का स्वप्न
    आकार लेकर
    मजबूत भविष्य बने।
    bahut sundar rachana. hridaysparshi panktiyan.

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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