खुल के कह दी बात दिल की तो बवाल
लिख दिये जो ख़्वाब दिल के तो बवाल
इधर-उधर से ढ़ूँढते हो रोज़ क़िस्से इश्क़ के
हमने लफ़्ज़ों में बयां की मोहब्बत तो बवाल
देखकर आँखें झुका ली अदब से तो बवाल
नज़रें मिलाई और हँस के चल दी तो बवाल
भावों से वो खेलते है फ़र्क़ क्या किसी दर्द का
हमने आईना दिखाया हो गया फिर तो बवाल
स्याही ख़ून में डुबोकर लिख दिया तो बवाल
कभी माटी कभी मौसम के रंग दिया तो बवाल
न ख़बर मैं क्या हूँ, वो कहे मेरे लिए अख़बार में
हमने चुप्पी साध ली हर बात पर तो है बवाल
ज़िंदगी की दौड़ में तुम रूको न चलो तो बवाल
मन मुताबिक पल जो चाहा न मिले तो बवाल
वो सजाये महफिलें और कहकहे हों बे-तुकें
हमने बस था मुस्कुराया एक जरा तो बवाल
हमने बस था मुस्कुराया एक जरा तो बवाल
#श्वेता🍁