मेरी तन्हाइयों में
तुम्हारा एहसास
कसमसाता है,
तुम धड़कनों में
लिपटे हो
मेरी साँसें बनकर।
बेचैन वीरान
साहिल पे बिखरा
कोई ख़्वाब,
लहर समुन्दर की
पलकों को
नमकीन करे।
सोचा न सोचूँ तुम्हें
ज़ोर ख़्यालों पर
कैसे हो,
तुम फूल की ख़ुशबू
भँवर मन
मेरा बहकता है।
दो दिन का
तेरा इश्क़ सनम
दर्द ज़िंदगीभर का,
फ़लसफ़ा
मोहब्बत का
समझ न आया हमको।
रात के आग़ोश में
संग चाँदनी के
ख़ूब रोया दिल,
सुबह की पलकों पे
शबनमी क़तरे
गवाही देते।
शुभ संध्या...
ReplyDeleteबेहतरीन नज़्म
सोचा न सोचूँ तुम्हें,जोर ख्यालों पर कैसे हो,
तुम फूल की खुशबू भँवर मन मेरा बहकता है।
बेहतरीन पंक्तियाँ
सादर
आभार आभार अति आभार दी:) तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।
Deleteमन के चरण पखारती ये पंक्तियाँ अत्यन्त ही हृदयस्पर्शी हैं...
ReplyDeleteबैचेन वीरान साहिल पे बिखरा कोई ख़्वाब,
लहर समन्दर की पलकों को नमकीन करे।
लिखते रहें। शुभकामनाओं सहित शुभेक्षा।
अति आभार आपका pk ji. आपकी सराहना मन हर्षित कर जाती है।
Deleteअपनी शुभकामनाओं का साथ बनाएँ रखियेगा।
तहेदिल से शुक्रिया आपका।
नजर में गर फूल ही फूल नजर आने लगे
ReplyDeleteनज़ारे नाज़नीन में बेबजह मन घबराने लगे
नजऱ को यूँ इक नए आसमाँ की तालाश हो
नजारों नाजनीन में खोया इक अहसास हो
बादलों के उस पार बंसरी मधुर गर सुनाई दे
अक़्स कृष्ण का हथेलियों में फिर दिखाई दे
बहुत खूबसूरत लिखा आपने...वाह्ह्ह👌👌
Deleteजी आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/11/44.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका संजय जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका,मेरी रचना को स्थान देने के लिए।
Deleteदिल को छूती बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका ज्योति जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteदो दिन का इश्क
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब...
तुम फूल की खुशबू भँवर मन मेरा बहकता है....
वाह!!!!
बहुत बहुत आभार सुधा जी,आप लगातार मेरा उत्साहवर्धन करती सही है,बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteभावों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका रंगराज जी।
Deleteएहसास ही होता हिया जो तन्हाई, जुदाई और प्रेम ... सभी को मिला कर एक नवीन कल्पना को साकार कर देता है और रचना का सृजन हो जाता है ...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका नासवा जी।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार,तहेदिल से शुक्रिया आपका सर।
Deleteदो दिन का इश्क....
ReplyDeleteदर्द जिंदगी भर का...
मुहब्बत के फलसफे को क्या खूब शब्द दिए हैं आपने !!!
बहुत बहुत आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया आपका मीना जी।
Deleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार,तहेदिल से शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteख़ूब रोया दिल,
ReplyDeleteसुबह की पलकों पे
शबनमी क़तरे
गवाही देते।
बहुत ही सुन्दर और मन के कोमलतम भावों को शब्द देती रचना का क्या कहिये !!!!!!! तारीफ से परे अप्रितम रचना !!१
बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका प्रिय रेणु जी,आपकी सुंदर प्रतिक्रिया सदैव मन छू जाती है।
Deleteअत्यंत सुन्दर भाव लिए हुए आपकी रचना। बहुत ख़ूब
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका ध्रुव जी।
Deleteबैचेन वीरान साहिल पे बिखरा कोई ख़्वाब,
ReplyDeleteलहर समन्दर की पलकों को नमकीन करे।
....बेहद हृदयस्पर्शी हैं...
आभार,आभार,आभार,अति आभार आपका संजय जी।आपके उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteबेहद खूबसूरत रचना .
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 04 जनवरी 2021 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteसोच रही हूँ कि इन नरम नरम एहसासों को किन लफ्जों में बयां करूं या फिर यह कहूं कि इश्क करो तो जानो.... चाहे वह दो पल के लिए ही क्यों ना हो ।
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