Sunday 19 November 2017

दो दिन का इश्क़


मेरी तन्हाइयों में
तुम्हारा एहसास
कसमसाता है,
तुम धड़कनों में
लिपटे हो
मेरी साँसें बनकर।
बेचैन वीरान
साहिल पे बिखरा
कोई ख़्वाब,
लहर समुन्दर की
पलकों को
नमकीन करे।
सोचा न सोचूँ तुम्हें
ज़ोर ख़्यालों पर
कैसे हो,
तुम फूल की ख़ुशबू
भँवर मन
मेरा बहकता है।
दो दिन का
तेरा इश्क़ सनम
दर्द ज़िंदगीभर का,
फ़लसफ़ा
मोहब्बत का
समझ न आया हमको।
रात के आग़ोश में
संग चाँदनी के
ख़ूब रोया दिल,
सुबह की पलकों पे
शबनमी क़तरे
गवाही देते।







33 comments:

  1. शुभ संध्या...
    बेहतरीन नज़्म
    सोचा न सोचूँ तुम्हें,जोर ख्यालों पर कैसे हो,
    तुम फूल की खुशबू भँवर मन मेरा बहकता है।
    बेहतरीन पंक्तियाँ
    सादर

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    1. आभार आभार अति आभार दी:) तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  2. मन के चरण पखारती ये पंक्तियाँ अत्यन्त ही हृदयस्पर्शी हैं...

    बैचेन वीरान साहिल पे बिखरा कोई ख़्वाब,
    लहर समन्दर की पलकों को नमकीन करे।

    लिखते रहें। शुभकामनाओं सहित शुभेक्षा।

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    1. अति आभार आपका pk ji. आपकी सराहना मन हर्षित कर जाती है।
      अपनी शुभकामनाओं का साथ बनाएँ रखियेगा।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  3. नजर में गर फूल ही फूल नजर आने लगे
    नज़ारे नाज़नीन में बेबजह मन घबराने लगे
    नजऱ को यूँ इक नए आसमाँ की तालाश हो
    नजारों नाजनीन में खोया इक अहसास हो
    बादलों के उस पार बंसरी मधुर गर सुनाई दे
    अक़्स कृष्ण का हथेलियों में फिर दिखाई दे

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    1. बहुत खूबसूरत लिखा आपने...वाह्ह्ह👌👌
      जी आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।

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  4. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/11/44.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका संजय जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका,मेरी रचना को स्थान देने के लिए।

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  5. दिल को छूती बेहतरीन रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  6. दो दिन का इश्क
    बहुत ही लाजवाब...
    तुम फूल की खुशबू भँवर मन मेरा बहकता है....
    वाह!!!!

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी,आप लगातार मेरा उत्साहवर्धन करती सही है,बहुत शुक्रिया आपका।

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  7. भावों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका रंगराज जी।

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  8. एहसास ही होता हिया जो तन्हाई, जुदाई और प्रेम ... सभी को मिला कर एक नवीन कल्पना को साकार कर देता है और रचना का सृजन हो जाता है ...

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका नासवा जी।

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  9. Replies
    1. बहुत बहुत आभार,तहेदिल से शुक्रिया आपका सर।

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  10. दो दिन का इश्क....
    दर्द जिंदगी भर का...
    मुहब्बत के फलसफे को क्या खूब शब्द दिए हैं आपने !!!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया आपका मीना जी।

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  11. बहुत खूबसूरत रचना

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    1. बहुत बहुत आभार,तहेदिल से शुक्रिया आपका लोकेश जी।

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  12. ख़ूब रोया दिल,
    सुबह की पलकों पे
    शबनमी क़तरे
    गवाही देते।

    बहुत ही सुन्दर और मन के कोमलतम भावों को शब्द देती रचना का क्या कहिये !!!!!!! तारीफ से परे अप्रितम रचना !!१

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका प्रिय रेणु जी,आपकी सुंदर प्रतिक्रिया सदैव मन छू जाती है।

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  13. अत्यंत सुन्दर भाव लिए हुए आपकी रचना। बहुत ख़ूब

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका ध्रुव जी।

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  14. बैचेन वीरान साहिल पे बिखरा कोई ख़्वाब,
    लहर समन्दर की पलकों को नमकीन करे।

    ....बेहद हृदयस्पर्शी हैं...

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    1. आभार,आभार,आभार,अति आभार आपका संजय जी।आपके उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया।

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  15. बेहद खूबसूरत रचना‎ .

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  16. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 04 जनवरी 2021 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  17. सोच रही हूँ कि इन नरम नरम एहसासों को किन लफ्जों में बयां करूं या फिर यह कहूं कि इश्क करो तो जानो.... चाहे वह दो पल के लिए ही क्यों ना हो ।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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