सोचते हैं
इस नये साल में
क्या बदल जाएगा....?
तारीख़ के साथ
किसका हाल बदल जाएगा।
सूरज,चंदा,तारे
और फूल
नियत समय निखरेंगे,
वही दिन होगा
असंभव है रात्रि
तम का जाल
तम का जाल
बदल जाएगा।
मथ कर विचार
तराश लीजिए
मन की काया,
गुज़रते वक़्त में
तन का हाल बदल जाएगा।
कुंठित मानसिकता में
लिपटे इस समाज में,
कौन कहता है
नारी के प्रति
मनभाव बदल जाएगा...?
लौटकर पक्षी को
अपने नीड़ में
आना होगा,
अपना मानकर बैठा है
कैसे वो डाल बदल जाएगा।
कुछ नहीं बदलता
समय की धारा में
दिवस के सिवा,
अपने कर्मों में
विश्वास रखिये
इतिहास बदल जाएगा।
नव वर्ष के
ख़ुशियों के पर्व पर
है नवीन संकल्प
नवप्रभात का,
ख़ुशियाँ बाँट लें
दिल कहता है
ग़म का जाल बदल जाएगा।
#श्वेता🍁