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Tuesday, 26 December 2017

बदलते साल में....



सोचते  हैं 
इस नये साल में 
क्या बदल जाएगा....?
तारीख़  के साथ 
किसका हाल बदल जाएगा।

सूरज,चंदा,तारे 
और फूल
नियत समय निखरेंगे, 
वही दिन होगा 
असंभव है रात्रि
तम का जाल
 बदल जाएगा।

मथ कर विचार 
तराश लीजिए
मन की काया,
गुज़रते वक़्त  में 
तन का हाल बदल जाएगा।

कुंठित मानसिकता में 
लिपटे इस समाज में,
कौन कहता है
नारी के प्रति
मनभाव बदल जाएगा...?

लौटकर पक्षी  को 
अपने नीड़ में
आना होगा,
अपना मानकर बैठा है   
कैसे वो डाल बदल जाएगा।

कुछ नहीं  बदलता 
समय की धारा में 
दिवस के सिवा,
अपने कर्मों  में 
विश्वास रखिये
इतिहास बदल जाएगा।

नव वर्ष के 
ख़ुशियों के पर्व पर
है नवीन संकल्प 
नवप्रभात का,
ख़ुशियाँ बाँट लें
दिल कहता है
ग़म का जाल बदल जाएगा। 

#श्वेता🍁

Saturday, 23 December 2017

लफ़्ज़ मेरे तौलने लगे..


अच्छा हुआ कि लोग गिरह खोलने लगे।
दिल के ज़हर शिगाफ़े-लब से घोलने लगे।।

पलकों से बूंद-बूंद गिरी ख़्वाहिशें तमाम।
उम्रे-रवाँ के  ख़्वाब  सारे  डोलने  लगे।।

ख़ुश देखकर मुझे वो परेश़ान हो  गये।
फिर यूँ हुआ हर लफ़्ज़ मेरे तौलने लगे।।

मैंने ज़रा-सी खोल दी  मुट्ठी भरी  हुई।
तश्ते-फ़लक पर  तारे रंग घोलने लगे।।

सिसकियाँ सुनता नहीं सूना हुआ शहर।
हँस के जो बात की तो लोग बोलने लगे।।

          #श्वेता🍁

शिग़ाफ़े-लब=होंठ की दरार
उम्रे-रवाँ=बहती उम्र
तश्ते-फ़लक=आसमां की तश्तरी

Sunday, 19 November 2017

दो दिन का इश्क़


मेरी तन्हाइयों में
तुम्हारा एहसास
कसमसाता है,
तुम धड़कनों में
लिपटे हो
मेरी साँसें बनकर।
बेचैन वीरान
साहिल पे बिखरा
कोई ख़्वाब,
लहर समुन्दर की
पलकों को
नमकीन करे।
सोचा न सोचूँ तुम्हें
ज़ोर ख़्यालों पर
कैसे हो,
तुम फूल की ख़ुशबू
भँवर मन
मेरा बहकता है।
दो दिन का
तेरा इश्क़ सनम
दर्द ज़िंदगीभर का,
फ़लसफ़ा
मोहब्बत का
समझ न आया हमको।
रात के आग़ोश में
संग चाँदनी के
ख़ूब रोया दिल,
सुबह की पलकों पे
शबनमी क़तरे
गवाही देते।







Thursday, 16 November 2017

ख्याल


साँझ की
गुलाबी आँखों में,
डूबती,फीकी रेशमी
डोरियों के
सिंदूरी गुच्छे,
क्षितिज के कोने के
स्याह कजरौटे में
समाने लगे,
दूर तक पसरी
ख़ामोशी की साँस,
जेहन में ध्वनित हो,
एक ही तस्वीर
उकेरती है,
जितना  झटकूँ
उलझती है
फिसलती है आकर
पलकों की राहदारी में
ख्याल बनकर।

Friday, 21 July 2017

आहटें

दिन के माथे पर बिखर गयी साँझ की लटें
स्याह आसमां के चेहरे से नज़रे ही न हटें

रात के परों पे उड़ती तितलियाँ जुगनू की
अलसाता चाँद बादलों में लेने लगा करवटें

फिसलती चाँदनी हँसी फूलों के आँचल पर
निकले टोलियों में सितारों की लगी जमघटें

पूछ रही हवाएँ छूकर पत्तों के रूखसारों को
क्यों खामोश हो लबों पे कैसी है सिलवटें

सोये झील के आँगन में लगा है दर्पण कोई
देख के मुखड़ा आसमां सँवारे बादल की लटें

चुपके से हटाकर ख्वाबों के अन्धेरे परदे
सुगबुगाने लगी नीदें गुनगुनाने लगी आहटे

    #श्वेता🍁

Thursday, 6 July 2017

वहम

आँखों के दरीचे में तेरे ख्यालों की झलक
और दिल के पनाहों में किसी दर्द का डेरा
शाखों पे यादों के सघन वन में ढ़ूँढ़ता तुम्हें
रात रात भर करता है कोई ख्वाब बसेरा
टूटकर कर जो गिर रहे ख्वाहिशों के पत्ते
अधूरे ख्वाब है जो न हुआ तेरा न ही मेरा
मुमकिन हो कि वहम निकले मेरे ये मन का
हमी से रात, हमसे ही होता है उसका सवेरा

Tuesday, 4 July 2017

कभी तो नज़र डालिए

कभी तो नज़र डालिए अपने गिरेबान में
ज़माना ही क्यों रहता बस आपके ध्यान में

कुछ ख्वाब रोज गिरते है पलकों से टूटकर
फिर भोर को मिलते है हसरत की दुकान में

मरता नहीं कोई किसी से बिछड़े भी तो
यही बात तो खास है हम अदना इंसान में

दूरियों से मिटती नहीं गर एहसास सच्चे हो
दूर नज़र से होके रहे कोई दिल के मकान में

दावा न कीजिए साथ उम्रभर निभाने का
जाने वक्त क्या कह जाये चुपके से कान में

        #श्वेता🍁

Sunday, 2 July 2017

रात के तीसरे पहर

सुरमई रात के उदास चेहरे पे
कजरारे आसमां की आँखों से
टपकती है लड़ियाँ बूँदों की
झरोखे पे दस्तक देकर
जगाती है रात के तीसरे पहर
मिचमिचाती पीली रोशनी में
थिकरती बरखा घुँघरू सी
सुनसान राहों से लगे किनारों पे
हलचल मचाती है बहती नहर
पीपल में दुबके होगे परिंदें
कैसे रहते होगे तिनकों के घर में
खामोश दरख्तों के बाहों में सोये
अलसाये है या डरे किसको खबर
झोंका पवन का ले आया नमी
छू रहा जुल्फों को हौले हौले
चूमकर चेहरे को सिहराये है तन
पूछता हाल दिल का रह रह के
सिलवटें करवटों की बेचैनी में
बीते है  रात की तीसरी पहर

    #श्वेता🍁

Friday, 23 June 2017

एक दिन

खुद को दिल में तेरे छोड़ के चले जायेगे एक दिन
तुम न चाहो तो भी  बेसबब याद आयेगे एक दिन

जब भी कोई तेरे खुशियों की दुआ माँगेगा रब से
फूल मन्नत के हो तेरे दामन में मुसकायेगे एक दिन

अंधेरी रातों में जब तेरा साया भी दिखलाई न देगा
बनके  इल्मे ए चिरां ठोकरों से बचायेगे एक दिन

तू न देखना चाहे मिरी ओर कोई बात नहीं,मेरे सनम
आईने दिल अक्स तेरा बनके नज़र आयेगे एक दिन

तेरी जिद तेरी बेरूखी इश्क में जो मिला,मंजूर मुझे
मेरी तड़पती आहें तुझको बहुत रूलायेगे एक दिन

आज तुम जा रहे हो मुँह मोड़कर राहों से मेरे घर के
दोगे सदा फिर कभी खाली ही लौटके आयेगे एक दिन

      #श्वेता🍁


Monday, 12 June 2017

कुछ बात होती

बहुत लंबी है उम्र, चंद लम्हों में ,सिमट जाती तो कुछ बात होती
मेरी ख़्वाहिश है तू, कुछ पल को,मिल जाती तो कुछ बात होती

रातें महकती है चाँदनी बनके मेरी आँखों के राहदारी में
धूप झुलसती, बदन को चूम,संदल सी भर जाती तो कुछ बात होती

दिल धडकनें लगता है बेतहाश़ा देखो न तेरा जिक्र सुन के
ये खबर झूठी नही,तुम तक उड़ती,,पहुँच जाती तो कुछ बात होती

पीकर जाम तेरे एहसास का झूमता है मन मलंग दिन रात
तुझे ख्वाब बना, आँखों से आँखों में पी जाती तो कुछ बात होती

तन्हाई को छूकर तो हर रोज बरस जाती है यादें तेरी
सूखी जमीं दिल की ,नेह की बूँदे,बिखर जाती तो कोई बात होती

        #श्वेता🍁


Wednesday, 24 May 2017

तुम्हारी तरह

गुनगुना रही है हवा तुम्हारी तरह
मुस्कुरा रहे है गुलाब तुम्हारी तरह

ढल रही शाम छू रही हवाएँ तन
जगा रही है तमन्ना तुम्हारी तरह

हंस के मिलना तेरा मुस्कुराना
तेरी बातें सताती है तुम्हारी तरह

लफ्जो़ं से अपनी धड़कन को छूना
बहुत याद आती है तुम्हारी तरह

कहानी लिखूँ या कविता कोई मैं
गज़ल बन रही है तुम्हारी तरह

न तुम सा कोई और प्यारा लगे है
नशा कोई तारी है तुम्हारी तरह

   #श्वेता🍁


Monday, 8 May 2017

मिराज़ सा छलना

सुबह का चलकर शाम में ढलना
जीवन का हर दिन जिस्म बदलना

हसरतों की रेत पे दर्या उम्मीद की
खुशी की चाह में मिराज़ सा छलना

चुभते हो काँटें ही काँटे तो फिर भी
जारी है गुल पे तितली का मचलना

वक्त के हाथों से ज़िदगी फिसलती है
नामुमकिन इकपल भी उम्र का टलना

अंधेरे नहीं होते हमसफर ज़िदगी में
सफर के लिये तय सूरज का निकलना

      #श्वेता🍁

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...