गुनगुना रही है हवा तुम्हारी तरह
मुस्कुरा रहे है गुलाब तुम्हारी तरह
ढल रही शाम छू रही हवाएँ तन
जगा रही है तमन्ना तुम्हारी तरह
हंस के मिलना तेरा मुस्कुराना
तेरी बातें सताती है तुम्हारी तरह
लफ्जो़ं से अपनी धड़कन को छूना
बहुत याद आती है तुम्हारी तरह
कहानी लिखूँ या कविता कोई मैं
गज़ल बन रही है तुम्हारी तरह
न तुम सा कोई और प्यारा लगे है
नशा कोई तारी है तुम्हारी तरह
#श्वेता🍁
मुस्कुरा रहे है गुलाब तुम्हारी तरह
ढल रही शाम छू रही हवाएँ तन
जगा रही है तमन्ना तुम्हारी तरह
हंस के मिलना तेरा मुस्कुराना
तेरी बातें सताती है तुम्हारी तरह
लफ्जो़ं से अपनी धड़कन को छूना
बहुत याद आती है तुम्हारी तरह
कहानी लिखूँ या कविता कोई मैं
गज़ल बन रही है तुम्हारी तरह
न तुम सा कोई और प्यारा लगे है
नशा कोई तारी है तुम्हारी तरह
#श्वेता🍁
आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहृदयतल से अति आभार आपका आदरणीय सर।
Deleteवाह!!!
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