मेरे आँगन से बहुत दूर
पर्वतों के पीछे छुपे रहते थे
नेह के भरे भरे बादल
तुम्हारे स्नेहिल स्पर्श पाकर
मन की बंजर प्यासी भूमि पर
बरसने लगे है बूँद बूँद
रिमझिम फुहार बनकर
अंकुरित हो रहे है
बरसों से सूखे उपेक्षित पड़े
इच्छाओं के कोमल बीज
तुम्हारे मौन स्पर्श की
मुस्कुराहट से
खिलने लगी पत्रहीन
निर्विकार ,भावहीन
दग्ध वृक्षों के शाखाओं पे
गुलमोहर के रक्तिम पुष्प
भरने लगे है रिक्त आँचल
इन्द्रधनुषी रंगों के फूलों से
तुम्हारे शब्दों के स्पर्श
तन में छाने लगे है बनकर
चम्पा की भीनी सुगंध
लिपटने लगे है शब्द तुम्हारे
महकती जूही की लताओं सी
तुम्हारे एहसास के स्पर्श से
मुदित हृदय के सोये भाव
कसमसाने लगे है आकुल हो
गुनगुनाने लगे है गीत तुम्हारे
बर्फ से जमे प्रण मन के
तुम्हारे तपिश के स्पर्श में
गलने लगे है कतरा कतरा
हिय बहने को आतुर है
प्रेम की सरिता में अविरल
देह से परे मन के मौन की
स्वप्निल कल्पनाओं में
#श्वेता🍁
किसी के प्रेम का स्पर्श झंकृत कर जाता है ... मन मयूर झूम झूम जाता है ... ऐसे में ही सृजन होता है इन रचनाओं का ...
ReplyDeleteआभार नासवा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteनमस्ते, आपकी यह रचना "पाँच लिंकों का आनंद "(http://halchalwith5links.blogspot.in) में लिंक की गयी है। गुरुवार 1 जून 2017 को प्रकाशित होने वाले अंक में चर्चा के लिए आप सादर आमंत्रित हैं।
ReplyDeleteनमस्ते रवींद्र जी।बहुत शुक्रिया आभार आपका मेरी रचना को मान देने के लिए हृदय से धन्यवाद आपका।
Deleteऔर कुछ नही, बस और केवल बस अद्भुत!!!
ReplyDeleteआपका बहुत शुक्रिया आभार आपका,बहुत अच्छा लगा आपका आगमन मेरी पोस्ट पर।धन्यवाद आपका।
Deleteसच प्रेमभरा कोमल स्पर्श भीषण गर्मी के बाद पहली बरखा की फुहार पड़ने पर धरती पर बीजों के अंकुरण जैसा ही होता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
जी बहुत शुक्रिया आभार आपका कविता जी।कविता में छिपे भाव अगर पाठक समझ ले तो रचना लिखना सार्थक होता है।बहुत आभार आपका।
Deleteकोई कितना खूबसूरत लिख सकता है, इसकी मिसाल हैं ये रचना, सचमुच ग़जब
ReplyDeleteजी आपके सुंदर शब्दों के लिए हृदय से आभार अलकनंदा जी,बहुत शुक्रिया।
Deleteबहुत सुन्दर रचना है.
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका।
Deleteमनभावन
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आपका
Deleteमनभावन
ReplyDeleteप्रकृति पर सुन्दर कविता है .
ReplyDeleteजी,बहुत आभार आपका।
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति ,अलंकृत शब्द विन्यास आभार। "एकलव्य"
ReplyDeleteजी बहुत आभार शुक्रिया आपका।"एकलव्य" जी
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