खुद को दिल में तेरे छोड़ के चले जायेगे एक दिन
तुम न चाहो तो भी बेसबब याद आयेगे एक दिन
जब भी कोई तेरे खुशियों की दुआ माँगेगा रब से
फूल मन्नत के हो तेरे दामन में मुसकायेगे एक दिन
अंधेरी रातों में जब तेरा साया भी दिखलाई न देगा
बनके इल्मे ए चिरां ठोकरों से बचायेगे एक दिन
तू न देखना चाहे मिरी ओर कोई बात नहीं,मेरे सनम
आईने दिल अक्स तेरा बनके नज़र आयेगे एक दिन
तेरी जिद तेरी बेरूखी इश्क में जो मिला,मंजूर मुझे
मेरी तड़पती आहें तुझको बहुत रूलायेगे एक दिन
आज तुम जा रहे हो मुँह मोड़कर राहों से मेरे घर के
दोगे सदा फिर कभी खाली ही लौटके आयेगे एक दिन
#श्वेता🍁
तुम न चाहो तो भी बेसबब याद आयेगे एक दिन
जब भी कोई तेरे खुशियों की दुआ माँगेगा रब से
फूल मन्नत के हो तेरे दामन में मुसकायेगे एक दिन
अंधेरी रातों में जब तेरा साया भी दिखलाई न देगा
बनके इल्मे ए चिरां ठोकरों से बचायेगे एक दिन
तू न देखना चाहे मिरी ओर कोई बात नहीं,मेरे सनम
आईने दिल अक्स तेरा बनके नज़र आयेगे एक दिन
तेरी जिद तेरी बेरूखी इश्क में जो मिला,मंजूर मुझे
मेरी तड़पती आहें तुझको बहुत रूलायेगे एक दिन
आज तुम जा रहे हो मुँह मोड़कर राहों से मेरे घर के
दोगे सदा फिर कभी खाली ही लौटके आयेगे एक दिन
#श्वेता🍁
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 25 जून 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दी आपका।
Deleteविरह रस को कितनी खूबसूरती से बयाँ किया है आपने!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर श्वेता जी !
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सुरेन्द्र जी।
Deleteग़ज़ल की ख़ूबसूरती इसी में है कि इसे करीने से गढ़ा जाय। श्वेता जी की यह ग़ज़ल नए रूप रंग से सजी -संवरी है। ह्रदय तल तक पहुंचे कोई बात वो बात मिलेगी इसमें। बधाई। शुभकामनाऐं!
ReplyDeleteग़ज़ल की ख़ूबसूरती इसी में है कि इसे करीने से गढ़ा जाय। श्वेता जी की यह ग़ज़ल नए रूप रंग से सजी -संवरी है। ह्रदय तल तक पहुंचे कोई बात वो बात मिलेगी इसमें। बधाई। शुभकामनाऐं!
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आभार रवींद्र जी।आप सदैव अपनी सुंदतम प्रतिक्रिया से उत्साहित करते है।
Deleteआभरी है.आपके बहुत।धन्यवाद बहुत सारा आपकी शुभकामनाओं के लिए।
बहुत ही सुन्दर सार्थक गजल...
ReplyDeleteलाजवाब...