Tuesday 20 June 2017

चुपके से

चुपके से उतरे दिल में हंसी लम्हात दे गये
पलकें अभी भी है भरी वो  बरसात दे गये

भर लिए ख्वाब आँखों मे न पूछा तुमसे
चंद यादों के बदले दर्द  की सौगात दे गये

एक नज़र प्यार की चाहत ज्यादा तो न थी
खामोश रहे  तुम उलझे से ख्यालात दे गये

दिल मे गहरे चढ गये रंग तेरे  एहसासों के
मिटाए से न मिटे महकते से जज़्बात दे गये

हसरते दिल की अधूरी है न पूरी होगी कभी
गर्म आहों में लिपटी तन्हा सर्द  रात दे गये

    #श्वेता🍁

6 comments:

  1. बहुत ही खूब ग़ज़ल

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    1. बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।

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  2. वाह
    बहुत सुंदर और प्रभावी

    बधाई

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    1. जी आभार शुक्रिया आपका महोदय बहुत सारा।

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  3. सुंदर रचना.... आपकी लेखनी कि यही ख़ास बात है कि आप कि रचना बाँध लेती है

    Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर...बारिश की वह बूँद:)

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका संजय जी:)

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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