सर्द रात के
नम आँचल पर
धुँध में लिपटा
तन्हा चाँद
जाने किस
ख़्याल में गुम है
झीनी चादर
बिखरी चाँदनी
लगता है
किसी की तलाश है
नन्हा जुगनू
छूकर पलकों को
देने लगा
हसीं कोई ख़्वाब है
ठंडी हवाएँ भी
पगलाई कैसे
चूमकर आयीं
लगता तेरा हाथ हैं
सिहरनें तन की
भली लग रहीं
गरम दुशाला लिए
कोई याद है
असर मौसम का
या दिल मुस्काया
लगता है फिर
चढ़ा ख़ुमार है
सितारे आज
बिखरने को आतुर
आग़ोश में आज
मदहोश रात है
#श्वेता🍁
असर मौसम का या दिल मुस्काया
ReplyDeleteलगता है फिर चढ़ा ख़ुमार है
सितारे आज बिखरने को आतुर
आग़ोश में आज मदहोश रात है....
एक संवेदनशील प्रकृति प्रेमी हृदय के ये स्वतःस्फूर्थ उच्छवास हैं या सिर्फ एक कविता, कहना कठिन है मेरे लिए।
सुंदर पंक्तियों में मैं खो चुका हूँ। बहुत बहुत बधाई। सुंदर रचना।
आपकी खुले मन से की गयी सराहना मुदित कर गयी। आपकी ऐसी प्रतिक्रिया पर कैसे आभार कहे समझ नहीं पा रहे।
Deleteकृपया अपनी शुभेच्छाओं का बहुमूल्य साथ बनाये रखियेगा।
तहेदिल से शुक्रिया आपका।
वाह ! क्या ख़ूब लिखा है !
ReplyDeleteप्रकृति और हमारे जीवन के बीच अटूट सम्बन्ध है। इन दोनों के बीच क्या कुछ चुपचाप घट रहा होता है हमें सामान्यतः भान ही नहीं होता है लेकिन एक संवेदनशील प्रकृति प्रेमी रचनाकार का अवलोकन इसमें से बहुत कुछ ऐसा आविष्कृत करता है कि हम चकित होकर भाव विभोर हो उठते हैं।
ऐसी सुन्दर रचनाओं से भरा हुआ है आदरणीया श्वेता जी का ब्लॉग। लिखते रहिये ऐसी ही अप्रतिम रचनाऐं जो हमारे मन-मस्तिष्क में जलते सवालों के ज्वालामुखी पर सर्द फुहार का एहसास कराती हैं। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
जी, रवींद्र जी,
Deleteआभार आभार आभार बहुत शुक्रिया आपका तहेदिल से,सदैव उत्साह और ऊर्जा से भरी सकारात्मक सरिता प्रवाहित करके मुझे सहयोग करते रहे है आप आपको जितना भी आभार कहे कम होगा।
कृपया अपनी शुभकामनाओं का अनमोल साथ सदैव बनाये रखिएगा।
बेहद खूबसूरत भाव सृजन श्वेता जी .
ReplyDeleteबहुत.बहुत आभार आपका मीना जी तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।
Deleteबहुत खूबसूरत एहसास लिये कवितामय रात की झीनी चादर ने मन मोह लिया. इतने शान्त शबनमी शब्दों की फुहार दिल पर बरस रही है और दिल वाह!वाह! कहने के लिये मचल रहा है.
ReplyDeleteआप सुंदर एहसासों की सरिता यूं की प्रवाहित करती रहें यही शुभकामना है.
सादर
अपर्णा जी आपकी ऐसी प्रतिक्रिया मन में प्रसन्नता भर गयी,आपका नेह छलक रहा है।कृपया अपनी शुभकायनाओं का साथ बनाये रखें।
Deleteहृदततल से अति आभार आपका।
इन सर्द रातों की बातों को तो रहने ही दे 'ऐ देव'
ReplyDeleteउनकी यादों की सहरन, सोने नहीं देती मुझे
देव जी आपका हार्दिक अभिनंदन है।
Deleteआपने बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी है👌
बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका बहुत सारा।
कितनी रुमानियत समेटे हर लफ्ज़ बंया कर रही है.बाते चांद की..मानो सरगोशियां करता रहा चांद की पहलु में थी चांदनी ।।।
ReplyDeleteहम चौराहों में उन्हें ढुंढते रहे और वो बस उपर से मुंस्कुराता रहा।
कितना खुबसूरत लिखती हैं आप,हर लाईन में प्यारी
सी कशिश है।...ठंडी हवाएं भी
पगलाई कैसे..गर्म दुशाला लिए कोई याद है,
सारा कुछ पिरो दिया इस खुबसूरत रचना में ,👌बधाई एवं शुभकामनाएं...!!
अनु जी आपकी प्रतिक्रिया ने मनमोह लिया।
Deleteआपकी सुंदर पंक्तियों ने रचना में चार चाँद लगा दिया है।बहुत बहुत आभार अनु जी तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।
कृपया मनोबल बढ़ाते रहे।
सितारे आज
ReplyDeleteबिखरने को आतुर
आग़ोश में आज
मदहोश रात है
बेहतरीन..
सादर
दी बहुत बहुत आभार,तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा:)
Deleteआपकी सराहना मतलब रचना ठीक ठाक बन गयी है।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" सशक्त महिला रचनाकार विशेषांक के लिए चुनी गई है एवं सोमवार २७ नवंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया इस मान के लिए।
Deleteसितारे आज
ReplyDeleteबिखरने को आतुर
आग़ोश में आज
मदहोश रात है...
बहुत खूबसूरत एहसास लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति, स्वेता!
बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका ज्योति जी।
Deleteसर्द रात का नम आँचल
ReplyDeleteधुंध में लिपटा तन्हा चाँद
ठंडी हवाओं का पगलाना
गरम दुशाले में यादों का आना
बहुत सुन्दर....अद्भुत ....बेहतरीन....
लाजवाब....
वाह!!!!
कमाल की अभिव्यक्ति है आपकी...
बहुत बहुत आभार एवः तहेदिल से शुक्रिया आपका सुधा जी। आपके सराहना से भरे शब्द नयी ऊर्जा से भर जाते है।
DeleteBeautiful and spellbinding words..:)
ReplyDeleteThanku so much respected Renu ji.
Deleteप्रिय श्वेता जी -----हमेशा की तरह आपकी रचना में चाँद और सितारों के बहाने से इतनी सुंदर प्रेमासिक्त भावनाओं का उदय हुआ है | दाद के लिए नए शब्द भी नहीं मिलते | बस यही कन्हुगी माँ सरस्वती आपकी लेखनी को बुरी नजर से बचाए | सस्नेह ------
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका प्रिय रेणु जी।तहेदिल से बेहद शुक्रिया आपका।स्नेह बना रहे आपका।
Deleteबहुत सुंदर कविता श्वेता जी लिखते रहे.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteठंडी हवाएँ भी
ReplyDeleteपगलाई कैसे
चूमकर आयीं
लगता तेरा हाथ हैं
लाजवाब....
वाह!!!!
बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका
Deleteनीतू जी।
बहुत ही सुंदर वर्णन रात का.... रहस्यमयी रात शीत ऋतु में तो और रहस्यमयी हो जाती है। आपकी तरह ही मुझे भी प्रकृति की गूढ़ता सदैव आकर्षित करती रही है...एक विकलता से भरा हुआ, अपने ही भावविश्व में डूबा मन प्रकृति की गोद में ही विश्राम पाता है....आपकी रचनाओं का शब्द सौंदर्य माला में गूँथे हुए सुंदर मोतियों का स्मरण कराता है । लिखते रहिए श्वेता जी। सादर बधाई स्वीकारें सुंदर रचना के लिए ।
ReplyDeleteप्रिय मीना जी आपकी सराहना सदैल मुझे विशेष लगती है।प्रकृति मेरे प्राणों में बसती है,मुझमें सकारात्मकता प्रवाहित करती है,इसलिए शायद हम प्रकृति को शब्द दज पाते है।
Deleteआपका तहेदिल से बहुत सारा शुक्रिया आपने बहुत सुंदर प्रतिक्रिया लिखी।
स्नेह बनाये रखे कृपया।
सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सर।
Deleteकवितामय रात का झीना आवरण कितना कुछ कह गया है ...
ReplyDeleteभावों का समुन्दर है रचना ...
बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से बेहद शुक्रिया आपका नासवा जी।
Deleteठंडी हवाएँ भी
ReplyDeleteपगलाई कैसे
चूमकर आयीं
लगता तेरा हाथ हैं
सिहरनें तन की
भली लग रहीं
गरम दुशाला लिए
कोई याद है
💐💐
बहुत सुंदर
मनोभावों को व्यक्त करती उम्दा रचना
बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी,आज पहली बार किसी भी रचना में आपकी इतनी लंबी प्रतिक्रिया पढ़ने का सौभाग्य मिला।
Deleteतहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।
आप सभी सुधीजनों को "एकलव्य" का प्रणाम व अभिनन्दन। आप सभी से आदरपूर्वक अनुरोध है कि 'पांच लिंकों का आनंद' के अगले विशेषांक हेतु अपनी अथवा अपने पसंद के किसी भी रचनाकार की रचनाओं का लिंक हमें आगामी रविवार(दिनांक ०३ दिसंबर २०१७ ) तक प्रेषित करें। आप हमें ई -मेल इस पते पर करें dhruvsinghvns@gmail.com
ReplyDeleteहमारा प्रयास आपको एक उचित मंच उपलब्ध कराना !
तो आइये एक कारवां बनायें। एक मंच,सशक्त मंच ! सादर
आपके सराहनीय प्रयास के लिए आपको बहुत सारी शुभकामनाएँ आदरणीय ध्रुव जी।
Deleteआप निश्चय ही ब्लॉग जगत में सकारात्मक और क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सक्षम है।
बहुत बहुत आभार और धन्यवाद आपके इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए।
सुंदर वर्णन रात का...कमाल की अभिव्यक्ति है....श्वेता जी
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना श्वेता जी।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 28 दिसम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete