सोनचिरई मेरी मिसरी डली
बगिया की मेरी गुलाबी कली
प्रथम प्रेम का अंकुर बन
जिस पल से तुम रक्त में घुली
रोम-रोम, तन-मन की छाया
तुम धड़कन हो श्वास में ढली
नन्ही नाजुक छुईमुई गु़ड़िया
छू कर रूई-फाहे-सी देह को,
डबडब भर आयी थी अँखियाँ
स्पर्श हुई थी जब उंगलियां मेरी।
महका घर-आँगन का कोना
चहका मन का खाली उपवन,
चंदा तारे सूरज फीके हो गये
पवित्र पावन तुम ज्योत सी जली।
हँसना-बोलना, रूठना-रोना तेरा
राग-रंग, ताल-सप्तक झंकृत
हर रूप तुझमें ही आये नज़र
सतरंगी इंद्रधनुष तुम जीवन से भरी।
एक आह भी तुम्हारा दर्द भरा
नयनों का अश्रु बन बह जाता है
मौन तुम्हारा जग सूना कर जाता है
मेरी लाडो यही तेरी है जादूगरी
मैं मन्नत का धागा हूँ तेरे लिए
तुझमें समायी मैं बनके शिरा
न चुभ जाये काँटा भी पाँव कहीं
रब से चाहती हूँ मैं खुशियाँ तेरी
#श्वेता🍁
बेहतरीन कविता...
ReplyDeleteसब कुछ समाहित है
इसमें लाड़, दुलार
सादर
बहुत बहुत आभार दी,आशीष बना रहे आपका।
Deleteप्रथम प्रेम का अंकुर बन
ReplyDeleteजिस पल से तुम रक्त में घुली
रोम-रोम, तन-मन की छाया
तुम धड़कन हो श्वास में ढली ,,,ओ बाग की कली...
असीम अनन्त शुभकामनाएँ लाडली को .... सरस्वती जिह्वा पर निवास हो, लाड़ दुलार में हो पली ।।।।। ओ लाडली.... ओ बाग की कली...
बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका खूब सारा। आपके आशीर्वचन और शुभकामनाओं का साथ बना रहे सदैव।
Deleteआज गुलाब कली की ताजी महक सी आ रही है।
ReplyDeleteमन खुश हुवा।
बहुत कोमल पावन सुरभित रचना।
शुभ रात्री।
बहुत बहुत आभार आपका दी,आपका नेह आशीष बना रहे सदैव यही कांक्षा है।
Deleteबहुत ही प्यारी रचना
ReplyDeleteवात्सल्य और ममता से भरी
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteप्रेम और ममत्व से पगी
ReplyDeleteमेरी लाडो मिसरी की डली....
वाह!!!!
बहुत ही लाजवाब रचना....
माँ की ममता से ओतप्रोत
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सुधा जी।स्नेह बनाये रखें।
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteमीठे शब्दों संग भीने भावों का प्रदर्शन।
बहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका अभि जी।
Deleteबिटिया को ढेरों आशीष!
ReplyDeleteमाँ तो एक ही भाषा जाने, वो है ममता की भाषा!
मैं मन्नत का धागा हूँ तेरे लिए
तुझमें समायी मैं बनके शिरा
न चुभ जाये काँटा भी पाँव कहीं
रब से चाहती हूँ मैं खुशियाँ तेरी !
बहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका मीना जी।
Deleteआपके नेह से भीगे शब्द और आशीष मन आहृलादित कर गये।
दिल के सारे जज्बातो को कागज पर उकेर दिया, बहुत खूबसूरत लिखा आपने....बिटीया को ढेर सारी आशीष।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया अनु जी,आपका आशीष मिलता रहे बिटिया को। आपके नेह का साथ बना रहे।
Deleteप्रेम भरे जज्बात और बच्चे के प्रति मन के उमड़ते भाव जैसे तट तोड़ के बह निकले हैं ... एक माँ के मन से ही ऐसे पावस शब्दों का सृजन होता है ...
ReplyDeleteजी सही कहा आपने नासवा जी,माँ के लिए अपने बच्चे की सलामती से बढ़कर और कोई ऋचा नहीं होती।
Deleteआभार आपका तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।
ममतामयी बखान... सुंदर.
ReplyDeleteआदरणीय रंगराज सर आपका बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteमाँ की ममता से परिपूर्ण बहुत ही सुंदर रचना। मिसरी की डली को अनेकानेक शुभ आशीर्वाद।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका ज्योति जी। आपका आशीष बना रहे:)
Deleteबहुत सूंदर
ReplyDeleteभावुक और मर्मस्पर्शी
बहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका नीतू जी।
Deleteप्रिय श्वेता जी -- कई दिनों के बाद नन्ही दुलारी बिटिया को समर्पित आपकी ये स्नेह पगी रचना पढ़ी | एक - एक शब्द एक माँ की ममता और वात्सल्य से भरा है और मन को छू रहा है | बिटिया को मेरी और से अनेकानेक शुभकामनाये और स्नेहाशीष | माँ बेटी में भिन्न क्या ? एक आत्मा के दो रूप है | मेरी कुछ पंक्तिया बिटिया को विशेष -----------------
ReplyDeleteपरी थी कोई आसमान की -
मेरी दुनिया में आई है |
तू मन की सफल दुआ -
स्नेह की शीतल पुरवाई है |
तेरे संग लौटा है
भूला सा बचपन मेरा
चहक उठा तेरी मुस्कान से
ये सूना सा आँगन मेरा ;
घर भर की रानी तू -
कण कण में तू ही छाई है
मैं तुझमे तू है मुझमे -
बिटिया तू मेरी परछाई है !!!!!!!!
सस्नेह बधाई और शुभ कामना ---------
10:37 pm, December 04, 20
प्रिय रेणु जी,
Deleteआपके स्नेह में भीगे शब्दों से गढ़ी रचना ने मेरी रचना की शोभा में चार चाँद लगा दिये है। बेहद सुंदर पंक्तियों का सृजन किया है आपने।
बिटिया पर आपके असीम प्रेम और आशीष की अमृत वर्षा ने मुझे अभिभूत कर दिया।आपका बहुत बहुत आभार हृदयतल से नमन आपको कृपया अपना नेह बनाये रखिएगा सदैव।
वात्सल्य भाव से भरी सुन्दर रचना .
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका मीना जी।
Deleteकितनी सुन्दर पंक्तियां हैं....!
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07-12-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2810 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से बेहद शुक्रिया आपका।
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका सर।
Deleteममता से परिपूर्ण प्रेम भरे जज्बात भरी मर्मस्पर्शी रचना....श्वेता जी
ReplyDeleteजब किसी कविता में ममता की भाषा घुल जाए तो उस पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए हर शब्द छोटा लगता है ... निशब्द करती कविता
ReplyDeleteबहुत सुंदर ! बहुत सुंदर प्रस्तुति ! बिटिया को ढ़ेरों आशीष एवं शुभकामनाएँ ।
ReplyDeletebhut achhi rachna hai apkiOnline book publisher India
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