सर्द रात के
नम आँचल पर
धुँध में लिपटा
तन्हा चाँद
जाने किस
ख़्याल में गुम है
झीनी चादर
बिखरी चाँदनी
लगता है
किसी की तलाश है
नन्हा जुगनू
छूकर पलकों को
देने लगा
हसीं कोई ख़्वाब है
ठंडी हवाएँ भी
पगलाई कैसे
चूमकर आयीं
लगता तेरा हाथ हैं
सिहरनें तन की
भली लग रहीं
गरम दुशाला लिए
कोई याद है
असर मौसम का
या दिल मुस्काया
लगता है फिर
चढ़ा ख़ुमार है
सितारे आज
बिखरने को आतुर
आग़ोश में आज
मदहोश रात है
#श्वेता🍁