Friday 22 September 2017

हरसिंगार


नीरव निशा के प्रांगन में हैं
सर सर  मदमस्त बयार,
महकी वसुधा चहका आँगन
खिले हैं हरसिंगार।

निसृत अमृत बूँदे टपकी
जले चाँद की मुट्ठी से,
दूध में चुटकी केसर छटकी
धवल दमकती बट्टी से,
सुंदर रूप नयन को भाये
खिले हैं  हरसिंगार।

संग सितारे बोले हौले 
मौन है उसका गीत,
कूजित है हरित पात पर
पीर भरा संगीत,
लिपटे टहनी के अधरों से
खिले हैं हरसिंगार।

भोर किरण को छूकर चूमे
दूब के गीले छोर,
शापित देव न चरण चढ़े
व्यथित छलकती कोर,
रवि चंदा के मिलन पे बिछड़े
खिले है हरसिंगार।

#श्वेता🍁

28 comments:

  1. भोर किरण के छूते ही
    चूमे दूब के गीले छोर,
    बहुत सुन्दर
    आदर सहित

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    1. बहुत आभार सखी दिबू,तहेदिल
      से शुक्रिया आपका।सस्नेह।

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  2. मन को छूती
    बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।

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  3. रचना का भावपक्ष और कलात्मकता माधुर्य के साथ विरह वेदना को भी अपने आगोश में समेटे हुए है। सचित्र रचना हरसिंगार को समझने में आसानी दर्शाती है। शब्द और चित्र का मेल बड़ा ही खूबसूरत बन पड़ा है। प्रकृति के प्रति असीम अनुराग उत्पन्न करती एक अनोखी रचना। बधाई एवं शुभकामनाएं।

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    1. हमेशा की तरह आपकी मनभावनी प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा आभार रवींद्र जी।आपकी शुभकामनाएँ सदैव अपेक्षित है।

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  4. बहुत ही खूबसूरत रचना....
    दूध में चुटकी केसर...
    भोर किरण को छूकर चूमें दूब के गीले छोर....
    बहुत ही सुन्दर उपमा.....
    लाजवाब प्रस्तुति

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    1. अति आभार ,तहेदिल से बहुत सारा.शुक्रिया आपका सुधा जी।

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  5. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, स्वेता।
    भोर किरण को छूकर चूमे
    दूब के गीले छोर,
    शापित देव न चरण चढ़े
    व्यथित छलकती कोर,
    रवि चंदा के मिलन पे बिछड़े
    खिले है हरसिंगार।
    बढ़िया।

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    1. आभार आभार अति आभार आपका ज्योति जी।
      आपकी सुंदर सरहानीय प्रतिक्रिया उत्साह बढ़ा जाती है।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका राजीव जी।

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  7. एक एक शब्द में सौंदर्य साकार हो उठा है ! हरसिंगार के फूलों को ही रचना में गूँथ दिया हो जैसे ! मुझे भी बहुत पसंद हैं ये हरसिंगार के फूल क्योंकि इनमें सौंदर्य के साथ सादगी भी है और इनकी नजाकत का तो कहना ही क्या !!!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी,आपके प्रतिक्रिया के शब्द इतने सुंदर होते है कि मन प्रसन्न हो जाता है। तहेदिल से शुक्रिया आपका ढेर सारा।सस्नेह।

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  8. वाह ! क्या बात है ! खूबसूरत रचना की प्रस्तुति ! बहुत सुंदर आदरणीया ।

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    1. अति आभार सर,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  9. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 25 सितम्बर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  10. निसृत अमृत बूँदे टपकी
    जले चाँद की मुट्ठी से,
    दूध में चुटकी केसर छटकी
    धवल दमकती बट्टी से,

    क्या ख़ूब श्वेता जी। बहुत सरस। मधुर। मधुरतम रचना

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका अमित जी।

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  11. आपको सपरिवार शुभ पर्व की मंगलकामनाएं

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    1. आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ गगन जी।
      माता रानी सदैव हर मनोकामन पूरी करें।

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  12. हरसिंगार पर बहुत ही उम्दा रचना श्वेता जी .

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    1. अति आभार मीना जी तहेदिल से शुक्रिया सस्नेह ।

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  13. बहुत ही सुंदर रचना है , श्वेता !

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    1. बहुत बहुत आभार सपना जी,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  14. जब खिलता है बहुत ही खिलता है ... हरसिंगार पे कितना कुछ लिखा गया है ... ये भी एक लाजवाब कृति है ...

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    1. बहुत बहुत आभार आपका नासवा जी,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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