नीरव निशा के प्रांगन में हैं
सर सर मदमस्त बयार,
महकी वसुधा चहका आँगन
खिले हैं हरसिंगार।
निसृत अमृत बूँदे टपकी
जले चाँद की मुट्ठी से,
दूध में चुटकी केसर छटकी
धवल दमकती बट्टी से,
सुंदर रूप नयन को भाये
खिले हैं हरसिंगार।
संग सितारे बोले हौले
मौन है उसका गीत,
कूजित है हरित पात पर
पीर भरा संगीत,
लिपटे टहनी के अधरों से
खिले हैं हरसिंगार।
भोर किरण को छूकर चूमे
दूब के गीले छोर,
शापित देव न चरण चढ़े
व्यथित छलकती कोर,
रवि चंदा के मिलन पे बिछड़े
खिले है हरसिंगार।
#श्वेता🍁
भोर किरण के छूते ही
ReplyDeleteचूमे दूब के गीले छोर,
बहुत सुन्दर
आदर सहित
बहुत आभार सखी दिबू,तहेदिल
Deleteसे शुक्रिया आपका।सस्नेह।
मन को छूती
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteरचना का भावपक्ष और कलात्मकता माधुर्य के साथ विरह वेदना को भी अपने आगोश में समेटे हुए है। सचित्र रचना हरसिंगार को समझने में आसानी दर्शाती है। शब्द और चित्र का मेल बड़ा ही खूबसूरत बन पड़ा है। प्रकृति के प्रति असीम अनुराग उत्पन्न करती एक अनोखी रचना। बधाई एवं शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहमेशा की तरह आपकी मनभावनी प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा आभार रवींद्र जी।आपकी शुभकामनाएँ सदैव अपेक्षित है।
Deleteबहुत ही खूबसूरत रचना....
ReplyDeleteदूध में चुटकी केसर...
भोर किरण को छूकर चूमें दूब के गीले छोर....
बहुत ही सुन्दर उपमा.....
लाजवाब प्रस्तुति
अति आभार ,तहेदिल से बहुत सारा.शुक्रिया आपका सुधा जी।
Deleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति, स्वेता।
ReplyDeleteभोर किरण को छूकर चूमे
दूब के गीले छोर,
शापित देव न चरण चढ़े
व्यथित छलकती कोर,
रवि चंदा के मिलन पे बिछड़े
खिले है हरसिंगार।
बढ़िया।
आभार आभार अति आभार आपका ज्योति जी।
Deleteआपकी सुंदर सरहानीय प्रतिक्रिया उत्साह बढ़ा जाती है।
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका राजीव जी।
Deleteएक एक शब्द में सौंदर्य साकार हो उठा है ! हरसिंगार के फूलों को ही रचना में गूँथ दिया हो जैसे ! मुझे भी बहुत पसंद हैं ये हरसिंगार के फूल क्योंकि इनमें सौंदर्य के साथ सादगी भी है और इनकी नजाकत का तो कहना ही क्या !!!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका मीना जी,आपके प्रतिक्रिया के शब्द इतने सुंदर होते है कि मन प्रसन्न हो जाता है। तहेदिल से शुक्रिया आपका ढेर सारा।सस्नेह।
Deleteवाह ! क्या बात है ! खूबसूरत रचना की प्रस्तुति ! बहुत सुंदर आदरणीया ।
ReplyDeleteअति आभार सर,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 25 सितम्बर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअति आभार दी:)
Deleteनिसृत अमृत बूँदे टपकी
ReplyDeleteजले चाँद की मुट्ठी से,
दूध में चुटकी केसर छटकी
धवल दमकती बट्टी से,
क्या ख़ूब श्वेता जी। बहुत सरस। मधुर। मधुरतम रचना
बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका अमित जी।
Deleteआपको सपरिवार शुभ पर्व की मंगलकामनाएं
ReplyDeleteआपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ गगन जी।
Deleteमाता रानी सदैव हर मनोकामन पूरी करें।
हरसिंगार पर बहुत ही उम्दा रचना श्वेता जी .
ReplyDeleteअति आभार मीना जी तहेदिल से शुक्रिया सस्नेह ।
Deleteबहुत ही सुंदर रचना है , श्वेता !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सपना जी,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
Deleteजब खिलता है बहुत ही खिलता है ... हरसिंगार पे कितना कुछ लिखा गया है ... ये भी एक लाजवाब कृति है ...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका नासवा जी,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।
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