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Friday, 22 September 2017

हरसिंगार


नीरव निशा के प्रांगन में हैं
सर सर  मदमस्त बयार,
महकी वसुधा चहका आँगन
खिले हैं हरसिंगार।

निसृत अमृत बूँदे टपकी
जले चाँद की मुट्ठी से,
दूध में चुटकी केसर छटकी
धवल दमकती बट्टी से,
सुंदर रूप नयन को भाये
खिले हैं  हरसिंगार।

संग सितारे बोले हौले 
मौन है उसका गीत,
कूजित है हरित पात पर
पीर भरा संगीत,
लिपटे टहनी के अधरों से
खिले हैं हरसिंगार।

भोर किरण को छूकर चूमे
दूब के गीले छोर,
शापित देव न चरण चढ़े
व्यथित छलकती कोर,
रवि चंदा के मिलन पे बिछड़े
खिले है हरसिंगार।

#श्वेता🍁

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