Sunday 17 September 2017

साथ तुम्हारे हूँ


निर्मल,कोमल, उर प्रीत भरी

हूँ वीतरागी,शशि शीत भरी,
मैं पल पल साथ तुम्हारे  हूँ।

रविपूंजों की जलती ज्वाला
ले लूँ आँचल में,छाँव करूँ,
कंटक राहों के चुन लूँ सारे
जीवन के भँवर में नाव बनूँ,

हर बूँद नयी आशा से भरी
मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ।

जीवन पथ के झंझावात में
थाम हाथ, तेरे साथ चलूँ
जब सूझे न कोई राह तुम्हें
जलूँ बाती, तम प्रकाश भरूँ,

घन निर्मल पावन प्रेम भरी
मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ।

क्या ढूँढ़ते हो तुम इधर उधर
न मिल पाऊँ जग बंधन में,
नयनों से ओझल रहती हूँ
तुम पा लो हिय के स्पंदन में,

जीवनदायी हर श्वास भरी
मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ।

       श्वेता🍁

29 comments:

  1. क्या ढूँढ़ते हो तुम इधर उधर
    न मिल पाऊँ जग बंधन में,
    नयनों से ओझल रहती हूँ
    तुम पा लो हिय के स्पंदन में,
    जीवनदायी हर श्वास भरी
    मैं पल पल साथ तुम्हारे हूँ।

    अप्रतिम। अद्भुत। बेहद ख़ूबसूरत रुबाई रचना श्वेता जी। सहज संतुलित निर्मल रचनात्मकता। ग़ज़ल, गीत, मुक्तक, हाइकु, अशआर, नज़्म हर किस्म की विधा में आप कमाल लिखतीं हैं।

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    1. अमित जी,
      आपने सदैव ही मुझे प्रोत्साहित किया है,आपके उत्साहवर्द्धक शब्द मेरी रचना के लिए अमृततुल्य रहे है। आपसे आगे भी ऐसे ही साथ की उम्मीद है।
      आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया एवं बहुत सारा आभार ।

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  2. बहुत खूब
    बेहतरीन और अद्भुत रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी तहे दिल से शुक्रिया बहुत सारा।

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  3. खूबसूरत और सटीक शब्दों से सजी रचना।

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    1. आपका आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया।

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  4. मन्त्रमुग्ध करते भाव ...., बहुत सुन्दर सृजन श्वेता जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी,तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।

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  5. बहुत खूब रचना आपकी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका गायत्री जी।तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  6. वाह..
    अंतिम पंक्ति को मैं इस तरह लिखती हूँ
    आप पल-पल मेरे साथ हैं और रहेंगी
    आदर सहित
    आपकी दिबू

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    1. आभार आभार प्रिय सखी दिबू,हाँ मैं हरपल साथ हूँ आपके।आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार जी।

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  7. किसी का साथ निभाना हो तो कायसे निभाए..यह पता करना है तो आपकी यह कविता सर्वोत्तम जबाब है। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति स्वेता।

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    1. अति आभार हृदयतल से शुक्रिया आपका ज्योति जी।

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  8. वाह !
    बहुत ख़ूब !
    आत्मीयता की पराकाष्ठा दर्शाती मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति हरेक उस प्रेयसी की मनुहार / दिलासा है अपने प्रियतम को जो समर्पित प्रेम में डूबकर जीवन की सरसता से सराबोर है।
    उत्कृष्ट रचना रच डाली आपकी लेखनी ने श्वेता जी।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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    1. रवींद्र जी सदैव की भाँति मेरा उत्साहवर्द्धन करती आपकी प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से बहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका।
      अपनी शुभकामनाएँ सदैव बनाए रखे।

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  9. बहुत सुंदर रचना ! प्रेम की पराकाष्ठा एवं प्रिय के लिए सब कुछ कर गुजरने की आकांक्षा । रचना का शब्द शिल्प आपके हृदय की कोमलता के दर्शन कराता है। केवल पहली पंक्ति में कुछ खटक रहा है श्वेता जी,
    "निष्ठुर,कोमल, उर प्रीत भरी"
    निष्ठुर और कोमल ? कृपया जाँच लें। आशा है आपको बुरा नहीं लगेगा। सस्नेह ।

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    1. मीना जी सबसे पहले मेरा हार्दिक आभार स्वीकार करें।आपके नेह और अपनेपन से अभिभूत हूँ।
      आपकी सलाह मानकर हम शब्द बदल दिये,हम जिस संदर्भ में 'निष्ठुर' लिखे थे संभवतः वो समझा नहीं पाए शायद।
      मीना जी जितना भी धन्यवाद कहे हम कम है।
      कृपया अपना नेह बनाये रखे और बहुमूल्य सलाह देते रहे।
      आभार आभार अति आभार आपका।

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    2. श्वेताजी,आप लगातार इतना सुंदर लेखन करती हैं अतः आपने इस शब्द का प्रयोग कुछ सोचकर ही किया होगा । मैं शायद संदर्भ नहीं समझ पाई । फिर भी मैंने आपका ध्यान आकृष्ट करना उचित समझा। ऐसा हम सभी के साथ होता है कभी ना कभी । आपकी विनम्रता के आगे नतमस्तक हूँ कि आपने मेरी सलाह को मान देते हुए वह शब्द ही बदल दिया । ईश्वर करे आपकी लेखनी में सदैव माँ सरस्वती का वास हो । स्नेहसहित ।

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    3. आपकी स्नेहिल शुभकामनाओं का हृदय से आभार मीना जी।

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    4. "ऊपर से हो नारिकेल सा
      अंतस नवनीत सा बहता है.
      प्रीत पंथ का अथक पथिक
      गुह्यात गुह्यतम गहता है"...... इसलिए मुझे तो निष्ठुर (नारिकेल अर्थात नारियल) और कोमल (नवनीत अर्थात मक्खन) का मणि कांचन संयोग ही ज्यादा संजीदा जंच रहा था. ऐसे विदुषियों के संवाद में बेवजह विवाद या विमर्श की घृष्टता के लिए क्षमा प्रार्थी. सुन्दर कविता के लिए साधुवाद, श्वेताजी!!!

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    5. अति आभार आपका विश्वमोहन जी,आपने सही मंतव्य समझा शब्द का,किंतु शब्द का स्पष्ट अर्थ न समझ आ रहा हो तो इसे बदलना ही श्रेष्ठ है।
      आपकी सकारात्मक सोच और मेरा दृष्टिकोण समझने के लिए आभार कम है।आपके सानिध्य का प्रसाद मिला हृदय अभिभूत है।
      तहेदिल से शुक्रिया।

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  10. वाह्ह्ह्हह !!! समर्पित प्रेम की अनुपम भावनाए ------ बहुत सुंदर !! आदरणीय श्वेता जी ---------- सस्नेह शुभकामना --

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    1. जी आभार तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका रेणु जी।आपकी शुभकामनाएँ की सदैव आकांक्षी है।

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  11. बहुत सुंदर, शब्द शिल्प की पराकाष्ठा। सब कुछ कर गुजरने की उत्कृष्ट आकांक्षा ।
    अद्भुत !

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अभि जी,आपकी सराहना भरी पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी।तहेदिल से बहुत शुक्रिया।

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  12. अति आभार आपका राकेश जी।आभारी है आपके।
    तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  13. स्वेता जी दिल को छू गई आपकी रचना

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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