Friday, 15 September 2017

तुम ही तुम


तुम ही तुम छाये हो ख़्वाबों ख़्यालों में
दिल के शजर के पत्तों में और डालों में

लबों पे खिली मुस्कान तेरी जानलेवा है
चाहती हूँ दिल टाँक दूँ मैं तुम्हारे गालों में

लकीरों के फ़सानें मुहब्बत की कहानी
न जाने क्यूँ उलझी हूँ बेकार सवालों में

है गुम न जाने इस दिल को हुआ क्या है
सुकूं मिलता नहीं अब मंदिर शिवालों में

तेरे एहसास में कशिश ही कुछ ऐसी है 
भरम टूट नहीं पाता हक़ीक़त के छालों में


      #श्वेता🍁

19 comments:

  1. क्या बात है
    बहुत ही शानदार ग़ज़ल

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    1. बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी तहेदिल से शुक्रिया जी।

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  2. वाह!!!
    लाजवाब श्वेता जी!क्या कमाल की गजल लिखती हैं आप....
    बहुत ही लाजवाब...

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका सुधा जी।

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  3. लाज़बाब से भी लाज़बाब। wahhhhhhhhhhhhhhh।।

    लबों पे खिली मुस्कान तेरी जानलेवा है
    चाहती हूँ दिल टाँक दूँ मैं तुम्हारे गालों में।

    ये शैली सिर्फ आपकी शैली है। बहुत लुभावनी रचना।

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    1. जी,हमेशा की तरह आपकी सराहना भरी पंक्तियाँ, उत्साह में असीम वृद्धि करती हुई।
      अमित जी, ऊर्जावान शब्द़ों के लिए बहुत शुक्रिया तहेदिल से अति आभार।

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  4. आदरणीय श्वेता जी ------ सिर्फ लाजवाब !!!!!!!! क्या कहूँ -----आपकी लेखनी को किसी कि नजर ना लगे | बहुत ही महीन कोमल भाव रचती है आप | अमित जी ने सही कहा ये सिर्फ आपकी ही शैली हो सकती है | सस्नेह शुभकामना -------

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    1. आपकी सराहना के शब्दों में छलकते नेह से मन अभिभूत हो.गया रेणु जी।आपकी प्रतिक्रिया ने मन भीगा दिया।शुक्रिया या आभार कहने को शब्द नहीं है।फिर भी तहे दिल.से असंख्य आभार आपका।
      शुभकामनाओं का साथ बनाए रखे कृपया।

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  5. नये परिवेश की उल्लेखनीय ग़ज़ल नए प्रयोगों और लाक्षणिकता से लबरेज़ है।
    हरेक शेर ने अपना-अपना आसमां निर्मित किया है जिनमें एहसासों को विचरने का पर्याप्त स्थान मिला है। आपका मौलिक चिंतन सृजन को नए आयाम दे रहा है।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका रवींद्र जी,आपकी विश्लषणात्मक प्रतिक्रिया से रचना में चार चाँद लग जाते है।
      तहेदिल से अति आभार आपका ,कृपया अपनी शुभकामनाएँ सदैव प्रेषित करते रहे।

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  6. लाजवाब ...., बहुत सुन्दर‎ गज़ल ।

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    1. बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका मीना जी।

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  7. आप का अंदाजेबयां निराला है और ये ग़ज़ल बहुत खूब. आपकी हर रचना बेशकीमती होती है. नए मापदंड स्थापित कर रही हैं आप.बधाई स्वीकार करें. सादर

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    1. बहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा अपर्णा जी।

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  8. बहुत उन्दा पंकितीय है

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    1. आभार आपका रिंकी जी।सदैव तहेदिल से स्वागत है आपका ब्लॉक पर।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सर।

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  10. अति आभार सर आपका रचना को मान देने के लिए,माफी चाहेगे व्यस्तता की वजह से आ न सके।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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