तुम ही तुम छाये हो ख़्वाबों ख़्यालों में
दिल के शजर के पत्तों में और डालों में
लबों पे खिली मुस्कान तेरी जानलेवा है
चाहती हूँ दिल टाँक दूँ मैं तुम्हारे गालों में
लकीरों के फ़सानें मुहब्बत की कहानी
न जाने क्यूँ उलझी हूँ बेकार सवालों में
है गुम न जाने इस दिल को हुआ क्या है
सुकूं मिलता नहीं अब मंदिर शिवालों में
तेरे एहसास में कशिश ही कुछ ऐसी है
भरम टूट नहीं पाता हक़ीक़त के छालों में
#श्वेता🍁
क्या बात है
ReplyDeleteबहुत ही शानदार ग़ज़ल
बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी तहेदिल से शुक्रिया जी।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteलाजवाब श्वेता जी!क्या कमाल की गजल लिखती हैं आप....
बहुत ही लाजवाब...
बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका सुधा जी।
Deleteलाज़बाब से भी लाज़बाब। wahhhhhhhhhhhhhhh।।
ReplyDeleteलबों पे खिली मुस्कान तेरी जानलेवा है
चाहती हूँ दिल टाँक दूँ मैं तुम्हारे गालों में।
ये शैली सिर्फ आपकी शैली है। बहुत लुभावनी रचना।
जी,हमेशा की तरह आपकी सराहना भरी पंक्तियाँ, उत्साह में असीम वृद्धि करती हुई।
Deleteअमित जी, ऊर्जावान शब्द़ों के लिए बहुत शुक्रिया तहेदिल से अति आभार।
आदरणीय श्वेता जी ------ सिर्फ लाजवाब !!!!!!!! क्या कहूँ -----आपकी लेखनी को किसी कि नजर ना लगे | बहुत ही महीन कोमल भाव रचती है आप | अमित जी ने सही कहा ये सिर्फ आपकी ही शैली हो सकती है | सस्नेह शुभकामना -------
ReplyDeleteआपकी सराहना के शब्दों में छलकते नेह से मन अभिभूत हो.गया रेणु जी।आपकी प्रतिक्रिया ने मन भीगा दिया।शुक्रिया या आभार कहने को शब्द नहीं है।फिर भी तहे दिल.से असंख्य आभार आपका।
Deleteशुभकामनाओं का साथ बनाए रखे कृपया।
नये परिवेश की उल्लेखनीय ग़ज़ल नए प्रयोगों और लाक्षणिकता से लबरेज़ है।
ReplyDeleteहरेक शेर ने अपना-अपना आसमां निर्मित किया है जिनमें एहसासों को विचरने का पर्याप्त स्थान मिला है। आपका मौलिक चिंतन सृजन को नए आयाम दे रहा है।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।
बहुत बहुत आभार आपका रवींद्र जी,आपकी विश्लषणात्मक प्रतिक्रिया से रचना में चार चाँद लग जाते है।
Deleteतहेदिल से अति आभार आपका ,कृपया अपनी शुभकामनाएँ सदैव प्रेषित करते रहे।
लाजवाब ...., बहुत सुन्दर गज़ल ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया आपका मीना जी।
Deleteआप का अंदाजेबयां निराला है और ये ग़ज़ल बहुत खूब. आपकी हर रचना बेशकीमती होती है. नए मापदंड स्थापित कर रही हैं आप.बधाई स्वीकार करें. सादर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार एवं तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा अपर्णा जी।
Deleteबहुत उन्दा पंकितीय है
ReplyDeleteआभार आपका रिंकी जी।सदैव तहेदिल से स्वागत है आपका ब्लॉक पर।
Deleteवाह।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सर।
Deleteअति आभार सर आपका रचना को मान देने के लिए,माफी चाहेगे व्यस्तता की वजह से आ न सके।
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