*चित्र साभार गूगल*
मुक्तक
चाँद आसमान से बातें करता ऊँघने लगा
अलसाकर बादलों के पीछे आँखें मूँदने लगा
नीरवता रात की मुस्कुरायी सितारों को चूमकर
ख्वाबों मे हुई आहट फिजां में संगीत गूँजने लगा
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अलसाकर बादलों के पीछे आँखें मूँदने लगा
नीरवता रात की मुस्कुरायी सितारों को चूमकर
ख्वाबों मे हुई आहट फिजां में संगीत गूँजने लगा
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चाँदनी रातों को अक्सर छत पे चले जाते है
वो भी देखते होगे चंदा सोच सोच मुस्कुराते है
पलकों के पिटारे मे बंद कर ख्वाब नशीले
वो भी देखते होगे चंदा सोच सोच मुस्कुराते है
पलकों के पिटारे मे बंद कर ख्वाब नशीले
रेशमी यादों के आगोश में गुम हम सो जाते है
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झर झर झरती चाँदनी मुझसे है बतियाए
वो बैठा तेरे छाँव तले चँदनियाँ उसको भाए
गुन गुन करते पवन झकोरे तन मेरा छू जाए
उसकी याद की मीठी सिहरन मन मेरा बौराए
झर झर झरती चाँदनी मुझसे है बतियाए
वो बैठा तेरे छाँव तले चँदनियाँ उसको भाए
गुन गुन करते पवन झकोरे तन मेरा छू जाए
उसकी याद की मीठी सिहरन मन मेरा बौराए
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चाँदनी के धागों से स्याह आसमान पे पैगाम लिखा है
दिल की आँखों से पढ़ लो संदेशा एक खास लिखा है
पी लो धवल चाँद का रस ख्यालों के वरक लपेटकर
सुनहरे ख्वाब मे मुस्कुराने को अपने एहसास लिखा है
दिल की आँखों से पढ़ लो संदेशा एक खास लिखा है
पी लो धवल चाँद का रस ख्यालों के वरक लपेटकर
सुनहरे ख्वाब मे मुस्कुराने को अपने एहसास लिखा है
#श्वेता🍁
बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteरुमानियत के भावों से भरे सभी मुक्तक बेहतरीन हैं
चाँद और चाँदनी पर एक से बढ़ कर एक मुक्तक ......, बहुत खूब श्वेता जी ।
ReplyDeleteकल्पनाशक्ति की विराटताऔर क्षमता का ख़ूबसूरत प्रदर्शन।
ReplyDeleteहरेक मुक्तक ने अपना लक्ष्य तय किया और दिल को छू लिया।
मखमली ,रेशमी एहसासों से भरी ऐसी अभिव्यक्ति मन में सकारात्मकता की जननी है।
अति आधुनिकता से उत्पन्न विकृत सोच की चीरफाड़ करने के बजाय झुलसते भावों को प्रकृतिजन्य सृजन से ठंडक पहुँचाना ही सार्थक व सटीक सकारात्मकता है ,सोच और चिंतन की उर्वरता है।
बधाई एवं शुभकामनाऐं श्वेता जी।
लिखते रहिये।
काबिले तारीफ बार बार पढ़ने से भी मन नहीं भरता !
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteबहुत शानदार
वजन है इस चतुष्पदी में
सादर
चाँद तो हमेशा से प्रिय विषय रहा है कवियों का.... आपका ये अलग अंदाज़ चाँद को भी जरूर भाया होगा, तभी इतना इतरा रहा है !!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना । बधाई श्वेताजी ।
चाँदनी के धागों से स्याह आसमान पे पैगाम लिखा है
ReplyDeleteदिल की आँखों से पढ़ लो संदेशा एक खास लिखा है
पी लो धवल चाँद का रस ख्यालों के वरक लपेटकर
सुनहरे ख्वाब मे मुस्कुराने को अपने एहसास लिखा है
बहुत ही खूबसूरत रचना स्वेता जी।
चाँद और रूमानियत का रिश्ता जनम जनम से है ... और इसी भाव को बाँधा है हर बंध में ... बहुरत खूब ...
ReplyDeleteलाजवाब.... लाजवाब..!!!
ReplyDeleteनीरवता की रात मुस्कुरायी सितारों को चूमकर
ख्वाबों में हुई आहट फिजांं में संगीत गूँजने लगा
वाह !!!
बहुत बहुत सुन्दर
इतनी सुन्दर रचना के लिए बधाई ,श्वेता जी !
चाँद आसमान से बातें करता ऊँघने लगा
ReplyDeleteअलसाकर बादलों के पीछे आँखें मूँदने लगा
नीरवता रात की मुस्कुरायी सितारों को चूमकर
ख्वाबों मे हुई आहट फिजां में संगीत गूँजने लगा।
सदा की तरह अप्रतिम और मनमोहक श्वेता जी ।
कल्पना में यदि चांदनी रात का खूबसूरत वातावरण हो तो इससे बेहतर रचना क्या हो सकती है ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ,आभार "एकलव्य"
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