हाथों से वक़्त के रही फिसलती ज़िदगी
मुट्ठियों से रेत बन निकलती ज़िदगी
लम्हों में टूट जाता है जीने का ये भरम
हर मोड़ पे सबक लिए है मिलती ज़िदगी
दाखिल हुये जज़ीरे में एहसास है नये
पीकर के आब-ए-इश्क है मचलती ज़िदगी
मीठी नहीं हैं उम्र की मासूम झिड़कियाँ
आँखों की दरारों से आ छलकती ज़िदगी
करने लगी तालाब पे आबोहवा असर
मछलियों की साँस सी तड़पती ज़िदगी
बिकने लगे मुखौटे भी हर इक दुकान पर
बेमोल लगी मौत में बदलती ज़िदगी
आते नहीं परिंदे भी जबसे हुई ख़िज़ाँ
सूखे शजर की साँस-साँस ढलती ज़िंदगी
#श्वेता🍁
मुट्ठियों से रेत बन निकलती ज़िदगी
लम्हों में टूट जाता है जीने का ये भरम
हर मोड़ पे सबक लिए है मिलती ज़िदगी
दाखिल हुये जज़ीरे में एहसास है नये
पीकर के आब-ए-इश्क है मचलती ज़िदगी
मीठी नहीं हैं उम्र की मासूम झिड़कियाँ
आँखों की दरारों से आ छलकती ज़िदगी
करने लगी तालाब पे आबोहवा असर
मछलियों की साँस सी तड़पती ज़िदगी
बिकने लगे मुखौटे भी हर इक दुकान पर
बेमोल लगी मौत में बदलती ज़िदगी
आते नहीं परिंदे भी जबसे हुई ख़िज़ाँ
सूखे शजर की साँस-साँस ढलती ज़िंदगी
#श्वेता🍁
कितनी गहराई से सोचती हैं आप, ये इस रचना में स्पष्ट नजर आ रहा है । कमाल की अभिव्यक्ति की है वो भी एकदम सरलता सहजता के साथ !
ReplyDeleteमीना जी आपके प्रेमभरी प्रतिक्रिया के लिए शब्द नहीं क्या कहे।बहुत बहुत आभार आपका तहे दिल से बहुत सारा शुक्रिया।
Deleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteअति आभार आपका श्याम जी।
Deleteवाह!!!श्वेता जी!कमाल की रचना आपकी
ReplyDeleteजिन्दगी को सही और सटीक परिभाषित किया है आपने...
अद्भुत लेखन...लाजवाब...
बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी,तहेदिल से शुक्रिया आपकी सराहना से मन गदगद है।कृपया नेह बनाये रखे।
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार निधि जी।ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
Deleteबहुत बढिया..
ReplyDeleteसारगर्भित रचना।
बहुत बहुत आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया पम्मी जी।
Deleteअपनों की आपसदारी में भी तल्खियां हैं बहुत
ReplyDeleteगेरों के करम पर अब चिता सी है सुलगती जिन्दगी
बहुत ही भीतर,मर्मान्तक को झकझोरती है आप की रचना
वाह्ह्ह....बहुत खूब लाज़वाब पंक्तियाँ आपकी।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका।
वैचारिक परिपक्वता का एहसास दिलाती गंभीर ग़ज़ल।
ReplyDeleteहरेक शेर ने कुछ ऐसा कहा जो जीवन की कोई न कोई परिस्थिति है।
ग़ज़ल पढ़ने वाले के भीतर एक हलचल छोड़ती प्रभावशाली एवं उम्दा कृति।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।
लिखते रहिये इसी लय और जुनूँ के साथ।
माँ सरस्वती से आपकी लेखनी को आशीर्वाद मिले।
मंगलकामनाऐं।
बहुत बहुत आभार आपका तहेदिल से रवींद्र जी,आपकी सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर प्रतिक्रिया सदैव आहृलादित करती है।आपकी शुभकामनाओं अआ सथ बना रहे।
Deleteबहुत खूब ..., लाजवाब ..., एक एक पंक्ति सीधे हृदय में उतरती .
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।
Deleteबहुत खूब ... जिंदगी क्या क्या है ... हर बार नए रूप में सामने आती है ...
ReplyDeleteहर छंद जिंदगी के नए रूप को रखता हुआ ... लाजवाब ...
अति आभार आपका नासवा जी,आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए सदैव तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteबहुत बढ़िया...जिंदगी को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया है आपने। अद्भुत...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया ज्योति जी।
Deleteआत्मविश्वास को उर्जा प्रदान करती रचना।
ReplyDeleteआपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार एवं शुक्रिया संजय जी।
Deleteवाह ! क्या बात है ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका सर।
Deletebeautiful writing and thought. Waah waah.
ReplyDeleteits the god gift to you.Keep writing and sharing.
Thanks chandra ..Thanku so much.
Deletebeautiful writing and thought. Waah waah.
ReplyDeleteits the god gift to you.Keep writing and sharing.
Thanku so much chandra.
DeleteUr wishes r very special.
Thanks.