Saturday 20 January 2018

बसंत


भाँति-भाँति के फूल खिले हैं रंग-बिरंगी लगी फुलवारी।
लाल,गुलाबी,हरी-बसंती महकी बगिया गुल रतनारी।।

स्वर्ण मुकुट सुरभित वन उपवन रंगों की फूटे पिचकारी।
ओढ़़ के मुख पर पीली चुनरी इतराये सरसों की क्यारी।।

आम्र बौर महुआ की गंध से कोयलिया कूहके मतवारी।
मधुरस पीकर मधुकर झूमे मधुस्वर गुनगुन राग मनहारी।।

रश्मिपुंजों के मृदु चुंबन पर शरमायी कली पलक उघारी।
सरस सहज मनमुदित करे बाल-विहंगों की  किलकारी।।

ऋतुओं जैसे जीवन पथ पर सुख-दुख की है साझेदारी।
भूल के पतझड़ बांह पसारो अब बसंत की है तैय्यारी।।


26 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका दी:)
      सादर।

      Delete
  2. वाह!!श्वेता जी ...ये तो सचमुच बसंत का आगमन हो गया!!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी शुभा दी...बसंत का आगमन हो गया है।
      आभार आपका बहुत सारा।

      Delete
  3. बेहतरीन
    शानदार रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।
      शुक्रिया।

      Delete
  4. बहुत बहुत बहुत ज्यादा सुंदर !
    क्या शब्द चयन है ! वाह ! बार बार पढ़ने को मन चाहे ऐसी सुंदर कविता .

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।आपकी ऊर्जा से भरपूर प्रतिक्रिया ने उत्साह का संचरण कर दिया। बहुत शुक्रिया सस्नेह।

      Delete
  5. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका रंगराज सर।
      बहुत दिनों बाद आपकी प्रतिक्रिया मिली।
      आभार
      सादर।

      Delete
  6. बसंत पर पडी नजर
    बसंत खिल गया
    महिमा बढ़ी बसंत की
    वो शब्द मिल गया
    क्या बात ...बहुत खूब लिखा
    बधाई रचना और बसंत दोनों की

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका प्रिय नीतू
      आपकी सुंदर प्रतिक्रिया मुस्कान भर गयी।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका।

      Delete
  7. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'रविवार' २१ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत आभार आपका आदरणीय मेरी रचना को आपके मंच के लायक समझने के लिए...बहुत आभारी है आपकी सहृदयता के लिए।
      सादर।

      Delete
  8. वाहह.. बहुत खूबसूरत बसंत से सराबोर हर पंक्तियाँ..👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी। आपकी सराहना मन मुदित कर गयी।

      Delete
  9. सुन्दर शब्द रचना... बसंत की बयार सी सुमधुर मनभावन प्रस्तुति...
    बहुत खूबसूरत... लाजवाब
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी। तहेदिल से शुक्रिया आपका।

      Delete
  10. बसंत प्राकृति के विभिन्न रंग और अनुपम सौंदर्य को शब्दों के माध्यम से जीवित कर दिया इन छंदों में ... सच है कि मौसम हमारे विभिन्न मूड का सटीक बयानी करती है ... सुंदर रचना ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका नासवा जी। तहेदिल से शुक्रिया,आपके द्वारा रचना सुंदर विश्लेषण बहुत अच्छा लगा।

      Delete
  11. बसंत की खूबसूरती को क्या बखुबी व्यक्त किया हैं, स्वेता। बहुत खूब।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति दी।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका।

      Delete
  12. अनुपम सौंदर्य का सटीक बयानी करती सुंदर रचना ...

    ReplyDelete
  13. बसंत पंचमी के आगमन और प्रेम के मनुहार का यह मौसम सुहावना होता है
    बहुत सुंदर रचना
    हार्दिक शुभकामनाएं

    सादर

    ReplyDelete
  14. वाह ! क्या कहने हैं ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।

    ReplyDelete
  15. बहुत खूबसूरत पंक्तियां

    ReplyDelete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...