Friday, 5 January 2018

आज फिर.....

आज फिर किरिचियाँ ज़िंदगी की
तन्हाई में भर गयीं।
कुछ अधूरी ख़्वाहिशों की छुअन से
चाहतें सिहर गयीं।।

लाख़ कोशिशों के बावजूद
तुम ख़्यालों से नहीं जाते हो
थक गयी हूँ मैं
तुम्हें झटककर ज़ेहन से..... 
बहुत ज़िद्दी हैं ख़्याल तुम्हारे
बार-बार आकर बैठ जाते हैं
मन की उसी डाल पर
जहाँ से तुम ही तुम 
नज़र आते हो।

जितना भी कह लूँ
तुम्हारे होने न होने से
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है
पर जाने क्यों..... ? 
तुम्हारी एक नज़र को
दिल बहुत तड़पता है।
तुम्हारी बातें टाँक रखी हैं
ज़ेहन की पगडंडियों में
अनायास ही तन्हाई में
मन उन्हीं राहों पर चलता है।


    #श्वेता🍁

25 comments:

  1. उनकी यादें ऐसी हाई होती हैं ...
    झटकने को मन चाहता है ... निकालता भी नहीं

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    1. जी बहुत आभार आपका नासवा जी। तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  2. रूमानी काव्य की विशेषता यही है कि उसमें अंतर्मन के दमित भाव बख़ूबी उभर आते हैं। कल्पनालोक में मन एहसासों को जीकर महसूसता है और बुनता है रेशमी कालीन जिस पर चलते हैं,उड़ान भरते हैं हसरतों के पंछी।सृजन का ख़ूबसूरत रंग बिखेरती बेहतरीन रचना.

    बधाई एवं शुभकामनाऐं।


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    1. बहुत बहुत आभार आपका रवींद्र जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  3. कुछ यादे बनी रहे..अच्छा है
    बहुत खूबसूरत रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका पम्मी जी,तहेदिल से शुक्रिया।

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  4. बहुत ज़िद्दी हैं ख़्याल तुम्हारे
    बार-बार आकर बैठ जाते हैं

    बहुत उम्दा

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    1. बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  5. यादों की पगडंडियों से तुम्हारी याद जाती नहीं...ये वो किरचियां हे जो दरों दीवारों पर बिखरी नजर आती है।
    खूबसूरत ख्यालों से लबरेज ,मन के भावों को छू जाती .. अपनी चाहतों की परिभाषा बताती ... बहुत ही प्यारी रचना...!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अनु जी।तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।बहुत प्यारी प्रतिक्रिया आपकी।

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  6. "तुम्हारी बातें टाँक रखी हैं
    ज़ेहन की पगडंडियों में
    अनायास ही तन्हाई में
    मन उन्हीं राहों पर चलता है।'
    बहुत खूब .......👌

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    1. बहुत बहुत आभार मीना जी ,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  7. कुछ अधूरी चाहतों की छुवन से
    चाहतें सिहर गयी....
    बहुत ही सुंदर
    वाह!!!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सर।

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  9. तुम्हारी एक नज़र को
    दिल बहुत तड़पता है।
    तुम्हारी बातें टाँक रखी हैं
    ज़ेहन की पगडंडियों में
    अनायास ही तन्हाई में
    मन उन्हीं राहों पर चलता है।
    दिल को छुती बहुत ही खुबसुरत रचना, स्वेता।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  10. बहुत सुंदर रचना श्वेता जी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।

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  11. तुम्हारी एक नज़र को
    दिल बहुत तड़पता है।
    तुम्हारी बातें टाँक रखी हैं
    ...........दिल को छुती रचना !!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका संजय जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  12. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय सर,मेरी रचना को मान देने के लिए।

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  13. बहुत बहुत आभारी है आदरणीय राकेश जी आपके इस मान के लिए बहुत शुक्रिया।

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  14. मन को छू गए ये अहसास ।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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