Tuesday, 9 January 2018

अंकुराई धरा


धूप की उंगलियों ने 
छू लिया अलसाया तन 
सर्द हवाओं की शरारतों से
तितली-सा फुदका मन

तन्वंगी कनक के बाणों से
कट गये कुहरीले पाश
बिखरी गंध शिराओं में
मधुवन में फैला मधुमास

मन मालिन्य धुल गया
झर-झर झरती निर्झरी 
कस्तूरी-सा मन भरमाये
कंटीली बबूल छवि रसभरी

वनपंखी चीं-चीं बतियाये
लहरों पर गिरी चाँदी हार
अंबर के गुलाबी देह से फूट
अंकुराई धरा, जागा है संसार

       #श्वेता🍁

40 comments:

  1. बहुत सुन्दर
    साधुवाद
    सादर

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    1. आभार दी:)
      आपका आशीष शुभ संकेत।
      सादर

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  2. 👏👏👏👏👏 अंकुरण ही या नव प्रजनन सदैव सुखद अनुभूति ..नमन प्रिय श्वेता जी

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    1. अति आभार आपका प्रिय इन्दिरा जी,आपकी ऊर्जावान सराहना सदैव हृदय आलोकित करती है।
      तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।

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  3. बहुत सुन्दर रचना, बधाई

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    1. बहुत-बहुत आभार आपका वंदना जी।तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  4. बंसत से पहले ही बंसत की आहट सी आ गई
    ये कौन धीमे से आ जीवन बगिया मे छा गई
    मन मेरा मकरंद हुवा सौरभ सी फहरा गई
    अंकुर चटकने लगे दिल मे लो बहार आ गई।।

    वाह श्वेता लाजवाब कितनी सुंदर मधुरस छलकाती मधु ऋतु की मधुर सरस रचना,
    मन भा गई।
    बहुत सुंदर।।

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    1. दी,आपकी सराहना सदैव विशेष होती है।बहुत मान देती है आप मुझे। आपके द्वारा प्रवाहित सकारात्मक ऊर्जा नयी रचनाओं की प्रेरणा बनती है। कृपया अपना नेहाशीष बनाये रखें।

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  5. मेरा ब्लॉग ब्लॉग वार्ता किस कारण से नही खुल रहा है मै भी उसपर कुछ लिखना चाहता हुँ

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    1. जी चाचा जी,
      सादर प्रणाम।
      क्षमा चाहेंगे हम इस विषय में कुछ नहीं जानते है।

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  6. वाह..!! कानों में मधुर संगीत कोई छेड़ गया। रचना का रस्वादन आंखों के समक्ष जीवंतता का अनुभव सा दे गया. प्राकृतिक सौंदर्य के साथ आप सीधे संबंध स्थापित कर देती है । पढ़ते ही मनोहारी दृश्यौं को दिल दिमाग आत्मसात करने लग जाता है..! वाकई एक और कमाल की आपकी रचना..! धन्यवाद।

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    1. अति आभार आपका प्रिय अनु, आपकी सराहना सदैव किसी भी रचनाकार के मनोबल बढ़ाने में सहायक है।कृपया ऐसी संजीवनी का संचरण करते रहियेगा।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका बहुत सारा।

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  7. बिना बारिश के ही मन धुल सा गया
    स्नेह की डोर यूँ नयन से बंध गयी।


    बहुत सुंदर शब्दों से सुसज्जित रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अभि जी,आपने भी बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी है।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  8. माधुर्य से परिपूर्ण ताज़गीभरी रचना जिसमें लालिल्य ख़ूबसूरती से प्रस्फुटित हो रहा है। मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति जोकि अपने आप में विशिष्ट छटा बिखेर रही है।
    तत्सम शब्दों के प्रयोग ने रचना में नवीनता उड़ेल दी है लेकिन सामान्य पाठक शब्दार्थ की उलझन में मर्म पूर्णतः समझने में विचलित हो सकता है।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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    1. आदरणीय रवींद्र जी,आपकी सुंदर मनमोहक प्रतिक्रिया के साथ बहुमूल्य सुझाव के लिए आपके अति आभारी है।
      बहुत बहुत शुक्रिया आपका कृपया अपना शुभाशीष बनाये बनाये मेरी रचनाओं पर।

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  9. बहत ही सुन्दर कविता

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    1. बहुत बहुत आभार आपका विजय जी।ब्लॉग पर आपका अभिनंदन है। कृपया आते रहे।

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  10. प्रकृति‎ का मनोरम वर्णन .

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    1. अति आभार आपका मीना जी,तहेदिल से.शुक्रिया आपका।

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  11. वाह!!श्वेता जी ,बहुत सुंदर ....सुंदर शब्दों से सुसज्जित ....

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    1. अति आभार आपका शुभा जी,तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।

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  12. वाह!प्रकृति की सुंंदर वर्णन..
    बहुत खूबसूरती से शब्दों से पिरोया है आपने
    धन्यवाद।

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    1. अति आभार आपका पम्मी जी,तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।
      आभार
      सादर

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  13. बहुत ही सुंदर शब्दों में पिरोयी गई शानदार रचना है यह जो पाठक के मन में ताजगी और नई ऊर्जा का संचार करती है. श्वेता जी इस रचना में आपने प्रकृति की बहुत जीवंत और सलोनी छवि प्रस्तुत की है. अति सुंदर, मनोहारी रचना.

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया मन मुदित कर गयी।तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  14. सच कहूं श्वेताजी तो मै आपके साहित्य सौंदर्य को अपने शब्दों में बांधने में सक्षम नही। वर्णनातीत और अद्भुत!!! बधाई और आभार!!!

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    1. जी,विश्वमोहन जी आपकी सराहना को किन शब्दों म़े आभार कहे समझ नहीं पाते है। आपका स्नेहाषीश बना रहे हमपर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया मेरी रचनाओं के लिए संजीवनी जैसे है।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  15. वाह बेहतरीन रचना

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    1. अति आभार आपका सदा जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  16. सुंदर शब्दों से सजी शानदार रचना
    मन को भा गई

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    1. अति आभार आपका प्रिय नीतू,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  17. वाह....
    बेहतरीन...
    सादर...

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    1. अति आभार आपका आदरणीय सर,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  18. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-01-2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2845 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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    1. जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार आपका आदरणीय।

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  19. बहुत उम्दा कविता
    बेहतरीन

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    1. अति आभार आपका लोकेश जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  20. वाह ! क्या बात है ! खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत सुंदर आदरणीया ।

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  21. बहुत सुन्दर शब्द ... प्रकृति के अनुपम क्षणों से चुराए लम्हों से बुनी सुन्दर रचना है ...

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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