धूप की उंगलियों ने
छू लिया अलसाया तन
सर्द हवाओं की शरारतों से
तितली-सा फुदका मन
तन्वंगी कनक के बाणों से
कट गये कुहरीले पाश
बिखरी गंध शिराओं में
मधुवन में फैला मधुमास
मन मालिन्य धुल गया
झर-झर झरती निर्झरी
कस्तूरी-सा मन भरमाये
कंटीली बबूल छवि रसभरी
वनपंखी चीं-चीं बतियाये
लहरों पर गिरी चाँदी हार
अंबर के गुलाबी देह से फूट
अंकुराई धरा, जागा है संसार
#श्वेता🍁
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसाधुवाद
सादर
आभार दी:)
Deleteआपका आशीष शुभ संकेत।
सादर
👏👏👏👏👏 अंकुरण ही या नव प्रजनन सदैव सुखद अनुभूति ..नमन प्रिय श्वेता जी
ReplyDeleteअति आभार आपका प्रिय इन्दिरा जी,आपकी ऊर्जावान सराहना सदैव हृदय आलोकित करती है।
Deleteतहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।
बहुत सुन्दर रचना, बधाई
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार आपका वंदना जी।तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteबंसत से पहले ही बंसत की आहट सी आ गई
ReplyDeleteये कौन धीमे से आ जीवन बगिया मे छा गई
मन मेरा मकरंद हुवा सौरभ सी फहरा गई
अंकुर चटकने लगे दिल मे लो बहार आ गई।।
वाह श्वेता लाजवाब कितनी सुंदर मधुरस छलकाती मधु ऋतु की मधुर सरस रचना,
मन भा गई।
बहुत सुंदर।।
दी,आपकी सराहना सदैव विशेष होती है।बहुत मान देती है आप मुझे। आपके द्वारा प्रवाहित सकारात्मक ऊर्जा नयी रचनाओं की प्रेरणा बनती है। कृपया अपना नेहाशीष बनाये रखें।
Deleteमेरा ब्लॉग ब्लॉग वार्ता किस कारण से नही खुल रहा है मै भी उसपर कुछ लिखना चाहता हुँ
ReplyDeleteजी चाचा जी,
Deleteसादर प्रणाम।
क्षमा चाहेंगे हम इस विषय में कुछ नहीं जानते है।
वाह..!! कानों में मधुर संगीत कोई छेड़ गया। रचना का रस्वादन आंखों के समक्ष जीवंतता का अनुभव सा दे गया. प्राकृतिक सौंदर्य के साथ आप सीधे संबंध स्थापित कर देती है । पढ़ते ही मनोहारी दृश्यौं को दिल दिमाग आत्मसात करने लग जाता है..! वाकई एक और कमाल की आपकी रचना..! धन्यवाद।
ReplyDeleteअति आभार आपका प्रिय अनु, आपकी सराहना सदैव किसी भी रचनाकार के मनोबल बढ़ाने में सहायक है।कृपया ऐसी संजीवनी का संचरण करते रहियेगा।
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आपका बहुत सारा।
बिना बारिश के ही मन धुल सा गया
ReplyDeleteस्नेह की डोर यूँ नयन से बंध गयी।
बहुत सुंदर शब्दों से सुसज्जित रचना।
बहुत बहुत आभार आपका अभि जी,आपने भी बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी है।
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आपका।
माधुर्य से परिपूर्ण ताज़गीभरी रचना जिसमें लालिल्य ख़ूबसूरती से प्रस्फुटित हो रहा है। मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति जोकि अपने आप में विशिष्ट छटा बिखेर रही है।
ReplyDeleteतत्सम शब्दों के प्रयोग ने रचना में नवीनता उड़ेल दी है लेकिन सामान्य पाठक शब्दार्थ की उलझन में मर्म पूर्णतः समझने में विचलित हो सकता है।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।
आदरणीय रवींद्र जी,आपकी सुंदर मनमोहक प्रतिक्रिया के साथ बहुमूल्य सुझाव के लिए आपके अति आभारी है।
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका कृपया अपना शुभाशीष बनाये बनाये मेरी रचनाओं पर।
बहत ही सुन्दर कविता
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका विजय जी।ब्लॉग पर आपका अभिनंदन है। कृपया आते रहे।
Deleteप्रकृति का मनोरम वर्णन .
ReplyDeleteअति आभार आपका मीना जी,तहेदिल से.शुक्रिया आपका।
Deleteवाह!!श्वेता जी ,बहुत सुंदर ....सुंदर शब्दों से सुसज्जित ....
ReplyDeleteअति आभार आपका शुभा जी,तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteवाह!प्रकृति की सुंंदर वर्णन..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से शब्दों से पिरोया है आपने
धन्यवाद।
अति आभार आपका पम्मी जी,तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteआभार
सादर
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर शब्दों में पिरोयी गई शानदार रचना है यह जो पाठक के मन में ताजगी और नई ऊर्जा का संचार करती है. श्वेता जी इस रचना में आपने प्रकृति की बहुत जीवंत और सलोनी छवि प्रस्तुत की है. अति सुंदर, मनोहारी रचना.
बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया मन मुदित कर गयी।तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteसच कहूं श्वेताजी तो मै आपके साहित्य सौंदर्य को अपने शब्दों में बांधने में सक्षम नही। वर्णनातीत और अद्भुत!!! बधाई और आभार!!!
ReplyDeleteजी,विश्वमोहन जी आपकी सराहना को किन शब्दों म़े आभार कहे समझ नहीं पाते है। आपका स्नेहाषीश बना रहे हमपर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया मेरी रचनाओं के लिए संजीवनी जैसे है।
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आपका।
वाह बेहतरीन रचना
ReplyDeleteअति आभार आपका सदा जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteसुंदर शब्दों से सजी शानदार रचना
ReplyDeleteमन को भा गई
अति आभार आपका प्रिय नीतू,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteवाह....
ReplyDeleteबेहतरीन...
सादर...
अति आभार आपका आदरणीय सर,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-01-2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2845 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार आपका आदरणीय।
Deleteबहुत उम्दा कविता
ReplyDeleteबेहतरीन
अति आभार आपका लोकेश जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteवाह ! क्या बात है ! खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत सुंदर आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द ... प्रकृति के अनुपम क्षणों से चुराए लम्हों से बुनी सुन्दर रचना है ...
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