धूप की उंगलियों ने
छू लिया अलसाया तन
सर्द हवाओं की शरारतों से
तितली-सा फुदका मन
तन्वंगी कनक के बाणों से
कट गये कुहरीले पाश
बिखरी गंध शिराओं में
मधुवन में फैला मधुमास
मन मालिन्य धुल गया
झर-झर झरती निर्झरी
कस्तूरी-सा मन भरमाये
कंटीली बबूल छवि रसभरी
वनपंखी चीं-चीं बतियाये
लहरों पर गिरी चाँदी हार
अंबर के गुलाबी देह से फूट
अंकुराई धरा, जागा है संसार
#श्वेता🍁