एक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में
डल में उतर रहीं जलपरियाँ
घाटी हँसी खुमारी में
चिनार और पाइन मुस्काये
कोनिफर भी मंगल गाये
श्वेत उतंग मस्तक गर्वोन्मत
बाँधनी चुनर किरणें फैलाये
चाँदनी की मोहक मंजरियाँ
सज गयी निशा की यारी में
एक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में
दिन अखरोटी पलकें खोले
पुष्प चूम मधुप डोगरी बोले
रात खुबानी बेसुध हुई शिकारा में
बादल सतरंगी पाखें खोले
हवा खुशी की चिट्ठी लिख रही
चिड़ियों की किलकारी में
एक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में
बारुद नहीं महके लोबान
गूँजे अल्लाह और अजान
हर-हर महादेव जयकारा
सौहार्द्र गाये मानवता गान
रक्त में बहते विष चंदन होंंगे
समय की पहरेदारी में
एक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में
#श्वेता सिन्हा
वाह ! बेहद मनभावन, मनमोहक, कश्मीर की भावी तस्वीर ... केसरिया बिम्बों में रंगी हुई .... लोबान के महक के साथ ...
ReplyDeleteआभारी हूँ आपकी त्वरित प्रतिक्रिया मुदित कर गयी...बहुत शुक्रिया मन से।
Delete
ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
11/08/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
जी आभारी हूँ कुलदीप जी,सादर शुक्रिया।
Deleteबहुत सुंदर एक स्वप्न आकर ले रहा मेरी केसर की क्यारी में
ReplyDeleteआभारी हूँ रितु जी..सादर शुक्रिया।
Deleteवाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteकेसर क्यारी में आकार लेता स्वप्न बहुत ही खूबसूरत और मनभावन है जो भावी कश्मीर की उज्जवल भविष्य की कामना भी है....
ReplyDeleteबहुत हु लाजवाब सृजन
वाह! मोहक कल्पना फील गुड का एहसास लिये. काश ऐसा ही घटित हो और हमारा प्यारा कश्मीर रक्तरंजित नफ़रतों के दौर से उबर जाय.
ReplyDeleteआज का सच तो यही है कि साम्प्रदायिकता ने केसर की घाटी को अपनी भयावह नफ़रतों में रौंद डाला है. नफ़रत का फन दोनों ओर से उठाया गया तो आज हम यहाँ तक पहुँचकर यह महसूस कर रहे हैं कि अधिकाँश भारतियों की मानसिकता है की कश्मीर की ज़मीन तो हमारी है लेकिन वहाँ बसनेवाले लोग नहीं क्योंकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और कट्टर कश्मीरी मुसलमानों ने हमें यह मानने के लिये मानसिक रूप से तैयार किया है.
अभी कश्मीर में सरकार के वर्तमान फ़ैसलों का असर आना बाक़ी है. फ़िलहाल तो सेना के दम पर हम मनचाहे परिणामों की प्रतीक्षा में ख़ुश हैं.
लगभग 8 लाख सैनिक लंबे समय से कश्मीर में स्थिति को नियंत्रित करने के लिये तैनात हैं. सैनिकों की शहादत ने हमें विचलित किया है.आक्रामक तेवरों और सैनिक ताक़त के बल पर परिणाम कुछ समय के लिये अपने पक्ष में किया जा सकता है हमेशा के लिये नहीं.
ज़रूरत है चित्त और चेतना चेतना को बदलने की.
रवीन्द्र जी आपकी यथोचित प्रतिक्रिया से ज्यादा आपके मन के उदगार बहुत कुछ कह रहे हैं सत्य के जमीं पर ..
Deleteसंतोषजनक सुंदर रचना
ReplyDeleteवाह !बेहतरीन श्वेता दी
ReplyDeleteएक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में...👌👌
एक स्वप्न आकार ले रहा
ReplyDeleteमेरी केसर क्यारी में..
कश्मीर की कुदरती खूबसूरती आ गई है इस केसर की क्यारी में...बहुत खूबसूरत सृजन 👌👌
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहतरीन रचना श्वेता जी
ReplyDeleteवाह..बेहद मनमोहक चित्रण कश्मीर के सुंदर भविष्य का..हर भारतवासी के दिल की आवाज को आपने शब्द दिए हैं..
ReplyDeleteअमीन ...
ReplyDeleteये स्वप्न साकार हो और महक उठे घाटी का हर उपवन ... डल से प्रेम की धरा निकले ... सब को समा ले अपने में ...
बहुत सुन्दर रचना ...
बहुत सुन्दर और आशावादी कविता शेता ! लेकिन तुम्हारे इस मीठे सपने के सच होने की गुंजाइश बहुत कम है.
ReplyDeleteकेसर क्यारी सुलग रही थी, पर अब घुट-घुट सिसक रही है,
और वहां की हर इक हिरनी, देख शिकारी, सहम रही है.
आमीन आपकी यह सुंदर परिकल्पना जल्दी ही यथार्थ का बाना पहने ।
ReplyDeleteउच्चस्तरीय सृजन।
भाव और काव्य पक्ष दोनों अभिनव अनुपम ।
कश्मीर की वादियों की महक है आपकी रचना में ,बधाई हो
ReplyDelete