Saturday 10 August 2019

केसर क्यारी में


एक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में
डल में उतर रहीं जलपरियाँ
घाटी हँसी खुमारी में

चिनार और पाइन मुस्काये
कोनिफर भी मंगल गाये
श्वेत उतंग मस्तक गर्वोन्मत 
बाँधनी चुनर किरणें फैलाये
चाँदनी की मोहक मंजरियाँ
सज गयी निशा की यारी में

एक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में

दिन अखरोटी पलकें खोले
पुष्प चूम मधुप डोगरी बोले
रात खुबानी बेसुध हुई शिकारा में
बादल सतरंगी पाखें खोले
हवा खुशी की चिट्ठी लिख रही 
चिड़ियों की किलकारी में

एक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में

बारुद नहीं महके लोबान 
गूँजे अल्लाह और अजान
हर-हर महादेव जयकारा
सौहार्द्र गाये मानवता गान
रक्त में बहते विष चंदन होंंगे
समय की पहरेदारी में

एक स्वप्न आकार ले रहा
मेरी केसर क्यारी में

#श्वेता सिन्हा

20 comments:

  1. वाह ! बेहद मनभावन, मनमोहक, कश्मीर की भावी तस्वीर ... केसरिया बिम्बों में रंगी हुई .... लोबान के महक के साथ ...

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    1. आभारी हूँ आपकी त्वरित प्रतिक्रिया मुदित कर गयी...बहुत शुक्रिया मन से।

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  2. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    11/08/2019 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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    1. जी आभारी हूँ कुलदीप जी,सादर शुक्रिया।

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  3. बहुत सुंदर एक स्वप्न आकर ले रहा मेरी केसर की क्यारी में

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    1. आभारी हूँ रितु जी..सादर शुक्रिया।

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  4. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई

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  5. केसर क्यारी में आकार लेता स्वप्न बहुत ही खूबसूरत और मनभावन है जो भावी कश्मीर की उज्जवल भविष्य की कामना भी है....
    बहुत हु लाजवाब सृजन

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  6. वाह! मोहक कल्पना फील गुड का एहसास लिये. काश ऐसा ही घटित हो और हमारा प्यारा कश्मीर रक्तरंजित नफ़रतों के दौर से उबर जाय.
    आज का सच तो यही है कि साम्प्रदायिकता ने केसर की घाटी को अपनी भयावह नफ़रतों में रौंद डाला है. नफ़रत का फन दोनों ओर से उठाया गया तो आज हम यहाँ तक पहुँचकर यह महसूस कर रहे हैं कि अधिकाँश भारतियों की मानसिकता है की कश्मीर की ज़मीन तो हमारी है लेकिन वहाँ बसनेवाले लोग नहीं क्योंकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और कट्टर कश्मीरी मुसलमानों ने हमें यह मानने के लिये मानसिक रूप से तैयार किया है.
    अभी कश्मीर में सरकार के वर्तमान फ़ैसलों का असर आना बाक़ी है. फ़िलहाल तो सेना के दम पर हम मनचाहे परिणामों की प्रतीक्षा में ख़ुश हैं.
    लगभग 8 लाख सैनिक लंबे समय से कश्मीर में स्थिति को नियंत्रित करने के लिये तैनात हैं. सैनिकों की शहादत ने हमें विचलित किया है.आक्रामक तेवरों और सैनिक ताक़त के बल पर परिणाम कुछ समय के लिये अपने पक्ष में किया जा सकता है हमेशा के लिये नहीं.
    ज़रूरत है चित्त और चेतना चेतना को बदलने की.

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    1. रवीन्द्र जी आपकी यथोचित प्रतिक्रिया से ज्यादा आपके मन के उदगार बहुत कुछ कह रहे हैं सत्य के जमीं पर ..

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  7. वाह !बेहतरीन श्वेता दी
    एक स्वप्न आकार ले रहा
    मेरी केसर क्यारी में...👌👌

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  8. एक स्वप्न आकार ले रहा
    मेरी केसर क्यारी में..
    कश्मीर की कुदरती खूबसूरती आ गई है इस केसर की क्यारी में...बहुत खूबसूरत सृजन 👌👌

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  9. सुन्दर प्रस्तुति

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  10. बेहतरीन रचना श्वेता जी

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  11. वाह..बेहद मनमोहक चित्रण कश्मीर के सुंदर भविष्य का..हर भारतवासी के दिल की आवाज को आपने शब्द दिए हैं..

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  12. अमीन ...
    ये स्वप्न साकार हो और महक उठे घाटी का हर उपवन ... डल से प्रेम की धरा निकले ... सब को समा ले अपने में ...
    बहुत सुन्दर रचना ...

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  13. बहुत सुन्दर और आशावादी कविता शेता ! लेकिन तुम्हारे इस मीठे सपने के सच होने की गुंजाइश बहुत कम है.
    केसर क्यारी सुलग रही थी, पर अब घुट-घुट सिसक रही है,
    और वहां की हर इक हिरनी, देख शिकारी, सहम रही है.

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  14. आमीन आपकी यह सुंदर परिकल्पना जल्दी ही यथार्थ का बाना पहने ।
    उच्चस्तरीय सृजन।
    भाव और काव्य पक्ष दोनों अभिनव अनुपम ।

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  15. कश्मीर की वादियों की महक है आपकी रचना में ,बधाई हो

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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