प्रकृति के कोप के
विस्फोट के फलस्वरूप
नन्हें-नन्हें असंख्य मृत्यु दूत
ब्रह्मांड के अदृश्य पटल से
धरा पर आक्रमण कर
सृष्टि से
मानवों का अस्तित्व मिटाने के लिए
संकल्प रखा हो मानो..
जीवन बचाने के लिए
वचनबद्ध,कर्मठ,
जीवन और मृत्यु के महासमर में
रक्षक बनकर
सेनापति चिकित्सक एवं उनके
असंख्य सहयोगी योद्धा
यथाशक्ति अपनी क्षमता अनुरुप
भूलकर अपना सुख,
घर-परिवार
मृत्यु से साक्षात्कार कर रहे हैं
अस्पतालों के असुरक्षित रणभूमि में
मानव जाति के प्राणों को
सुरक्षित रखने के लिए संघर्षरत
अनमयस्क भयभीत
क्षुद्र मानसिकता
मूढ़ मनुष्यों के तिरस्कार,
अमानवीय व्यवहार से चकित
आहत होकर भी
अपनी कर्मठता के प्रण में अडिग
मृत्यु की बर्बर आँधी से
उजड़ती सभ्यताओं की
बस्ती में,
सुरक्षा घेरा बनाते
अपने प्राण हथेलियों पर लिये
मानवता के
साँसों को बाँधने का यत्न करते,
जीवन पुंजों के सजग प्रहरियों को
कुछ और न सही
स्नेह,सम्मान और सहयोग देकर
इन चिकित्सक योद्धाओं का
मनोबल दृढ़ करना
प्रत्येक नागरिक का
दायित्व होना चाहिए।
#श्वेता
९अप्रैल२०२०
प्रकृति के कोप के
ReplyDeleteविस्फोट के फलस्वरूप
नन्हें-नन्हें असंख्य मृत्यु दूत
ब्रह्मांड के अदृश्य पटल से
धरा पर आक्रमण कर
सृष्टि से
मानवों का अस्तित्व मिटाने के लिए
संकल्प रखा हो मानो..
सच में श्वेता जी!सत्य लिखा है आपने...न जाने
क्या इच्छा है प्रभु की...
और लोग अभी भी गम्भीर नहीं हैं चिकित्सकों को अपनी ओछी हरकत से परेशान कर रहै हैं
स्नेह,सम्मान और सहयोग देकर
इन चिकित्सक योद्धाओं का
मनोबल दृढ़ करना
प्रत्येक नागरिक का
दायित्व होना चाहिए।
एकदम सटीक समसामयिक लाजवाब सृजन।
सार्थक और सन्देशप्रद अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआज के इस दौर में चिकित्सक किसी सीमा पर लड़ते फ़ौजी से कम नहीं है।
ReplyDeleteमानवीय संसाधन भी वतन की सम्पदा है।
जिसे बचाने में अपनी जान दांव पर लगा रखी है।
सुंदर रचना।
दान मन्दिरो व मस्जिदों में नहीं अस्पतालों की सुविधा के लिए दें।
आभार।
विश्वव्यापी महामारी के दौर में मानव व्यवहार की पेचीदगियों,व्यवस्थाओं की लाचारियाँ, विज्ञान की विवशता और व्यक्ति के पूर्वाग्रह और धूर्तताएँ सब अब खुलकर हमारे समक्ष आ रहे हैं। सपाटबयानी करती यथार्थपरक रचना ठिठककर सोचने को अवश्य कहती है कि अपने दायित्व के प्रति आप कितने समर्पित हैं। आमजन की पीड़ा को सरल शब्दावली में व्यक्त करना ही उत्तम सृजन है।
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाएँ।
लिखते रहिए।
भावों का अविरल प्रवाह लिए कर्त्तव्यबोध कराती अत्यंत सुन्दर रचना । वैश्विक महामारी के संकट से पूरी मानव जाति के लिए चिकित्सक और सेवाकर्मी देवदूत समान हैं..उनके सम्मान का आह्वान करता हृदयस्पर्शी सृजन ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteअति सुंदर लेखन
ReplyDeleteकैसी विपदा आयी है और इस संकट की घड़ी में देवदूत को शत शत नमन
ReplyDeleteस्नेह,सम्मान और सहयोग देकर
इन चिकित्सक योद्धाओं का
मनोबल दृढ़ करना
प्रत्येक नागरिक का
दायित्व होना चाहिए।
बिलकुल सही ,इतना तो हम कर ही सकते हैं न ,सारी ऊर्जा बहस में तो नहीं गवानी चाहिए। अति सुंदर सृजन ,सादर नमन
सही है, हम सभी को ऐसा करना ही चाहिए
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ReplyDeleteनिस्वार्थ कर्म योद्धाओं का सम्मान बढाती रचना प्रिय श्वेता | निश्चित रूप से चिकित्सक संसार में दुसरी खुदाई है | आजके संक्रमण काल में उनकी अतुलनीय सेवाओं से पीड़ित मानवता को बहुत राहत मिल रही है अपनी सेहत की परवाह किये बिना उनका योगदान स्तुत्य है | उनका सम्मान और प्रोत्साहन की चेष्टा हर नागरिक का परम कर्तव्य है | सस्नेह शुभकामनाएं इस संवेदनशील मार्मिक रचना के लिए |
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट।
ReplyDeleteअति सुंदर रचना
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