वक़्त के अजायबघर में
अतीत और वर्तमान
प्रदर्शनी में साथ लगाये गये हैं-
ऐसे वक़्त में
जब नब्ज़ ज़िंदगी की
टटोलने पर मिलती नहीं,
साँसें डरी-सहमी
हादसों की तमाशबीन-सी
दर्शक दीर्घा में टिकती नहीं,
ज़िंदगी का हर स्वाद
खारेपन में तबदील होने लगा
मुस्कान होंठो पर दिखती नहीं,
नींद के इंतज़ार में
करवट बदलते सपने
रात सुकून से कटती नहीं,
पर फिर भी कभी किसी दिन
ऐसे वक़्त में...
चौराहे पर खड़ा वक़्त
राह भटका मुसाफ़िर-सा,
रात ज़िंदगी की अंधेरों में
भोर की किरणें टटोल ही लेगा...,
वक़्त के पिंजरे में
बेबस छटपटाते हालात,
उड़ान की हसरत में
फड़फड़ाकर पंख खोल ही लेगें...,
मरूस्थली सुरंग के
दूसरी छोर की यात्रा में
हाँफते ऊँटों पर लदा,बोझिल दर्द
मुस्कुराकर बोल ही पड़ेगा...,
उदासियों के कबाड़
शोकगीतों के ढेर पर चढ़कर
ऐ ज़िंदगी! तेरी इक आहट
उम्मीदों की चिटकनी खोल ही देगी...।
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#श्वेता सिन्हा
१७ अप्रैल २०२१
वक़्त के अजायबघर में .... अनुपम बिम्ब ... अतीत और वर्तमान की प्रदर्शनी ... देख रहे हैं , लेकिन समझ नहीं रहे लोग .... सब कुछ निराशाजनक होते हुए भी .... वक़्त चौराहे पर खड़ा जैसे चारों दिशाओं में जैसे कुछ प्रयास कर रहा हो कुछ अच्छा और सुकून देने का ...
ReplyDeleteनिराशा से आशा की ओर ले जाती रचना कहीं न कहीं मन को सुकून दे रही है ...
बहुत बढ़िया ...
बहुत अच्छी कविता, बहुत अच्छे भाव, बहुत अच्छी आशाएं-कामनाएं।
ReplyDeleteआशा का संचार करती बहुत सुंदर रचना, श्वेता दी।
ReplyDeleteआदरणीया मैम,
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और मार्मिक रचना आज की परिस्थिति पर जो आज की दुखद परिस्थिति का वर्णन भी करती है और नई आशा भी जगाती है ।
यह कोरोना अधिक दिनों तक नहीं रहेगा, जल्दी चला जाएगा अगर हम लोग सावधान रहें। इस बार कोरोना की दूसरी लहर लाने में हमारी अनुषाशनहीनता भी कारण है, मुंबई में तो जम कर नियम तोड़े गए हैं । मैं अभी भी कई लोगों को बिना मास्क पहने सुबह की सिर करते देखती हूँ और कभी- कभी मन करता है, उन सब से पूछूँ की अंकल आंटी आपका मास्क कहाँ है। पर हाँ, जो लोग अभी इस महामारी से जूझ रहे हैं, उनकी स्थिति बहुत करुण है,मेरी भी भगवान जी से यही प्रार्थना है की वह इस कोरोना काल को दूर करें और सभी जरूरतमंदों की सहायता करें, जिन लोगों ने अपने प्रियजन खो दिए, उन्हें शोकमुक्त करें।
अत्यंत आभार इस बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए व आपको प्रणाम ।
बहुत ख़ूब श्वेता !
ReplyDeleteउम्मीद पे दुनिया कायम है !
आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
ReplyDeleteआशा हो जीवन है,सकारात्मकता को प्रासंगिक बनाती सुन्दर कविता ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सकारात्मक सार्थक रचना सखी🙏🏼🌹 सादर
ReplyDeleteउदासियों के कबाड़
ReplyDeleteशोकगीतों के ढेर पर चढ़कर
ऐ ज़िंदगी! तेरी इक आहट
उम्मीदों की चिटकनी खोल ही देगी...।
बहुत सुन्दर 👌
बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteचौराहे पर खड़ा वक़्त
ReplyDeleteराह भटका मुसाफ़िर-सा,
रात ज़िंदगी की अंधेरों में
भोर की किरणें टटोल ही लेगा...,
वक़्त के पिंजरे में
बेबस छटपटाते हालात,
उड़ान की हसरत में
फड़फड़ाकर पंख खोल ही लेगें...,
बहुत गहरी रचना और गहरे विचार। कविता जहां अपनी बात कहती है वहीं एक सच भी आकर ठहरता है। बहुत बधाई श्वेता जी।
बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteविचारों का अच्छा सम्प्रेषण किया है
आपने इस रचना में।
ज़िंदगी का हर स्वाद
ReplyDeleteखारेपन में तबदील होने लगा
मुस्कान होंठो पर दिखती नहीं,
नींद के इंतज़ार में
करवट बदलते सपने
रात सुकून से कटती नहीं,
पर फिर भी कभी किसी दिन
ऐसे वक़्त में...
ऐ ज़िंदगी! तेरी इक आहट
उम्मीदों की चिटकनी खोल ही देगी...।
शायद खोल ही देगी उम्मीदों की चिटकनी...
समसामयिक निराशा के साथ दूर कहीं पनपती आशा...
लाजवाब सृजन।
बहुत शुक्रिया श्वेता, नकारात्मकता और घुटन भरे इस माहौल में सकारात्मक और आशावादी सोच की इन अमृत बूँदों की बड़ी जरूरत है !!!
ReplyDeleteउदासियों के कबाड़
शोकगीतों के ढेर पर चढ़कर
ऐ ज़िंदगी! तेरी इक आहट
उम्मीदों की चिटकनी खोल ही देगी...।
इसे शेयर कर रही हूँ, आपके ब्लॉग की लिंक के साथ।
प्रतीकों के माध्यम से गहरी बात बता गईं आप।
ReplyDeleteइसमें छायावाद की छाया झलकती है।
प्रतीकों के माध्यम से गहरी बात बता गईं आप।
ReplyDeleteइसमें छायावाद की छाया झलकती है।
जिंदगी की आहट ही सब पर भारी पड़ेगी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
बधाई
उम्मीद है तो सब है...शानदार रचना।
ReplyDeleteबढ़िया।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteउदासियों के कबाड़
ReplyDeleteशोकगीतों के ढेर पर चढ़कर
ऐ ज़िंदगी! तेरी इक आहट
उम्मीदों की चिटकनी खोल ही देगी...।
क्या बात है प्रिय श्वेता!!
उम्मीदों से भरा सुंदर सृजन! आशंकाओं और भयावहता केकाल में ये पंक्तियाँ जीने का उत्साह जगाती हैं! आशा ने संसार को सदैव सकारात्मक रखा है. हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई इस भावपूर्ण रचना के लिए!
उम्मीदों की शमा यूँ ही जलती रहे।
ReplyDeleteVery well said, Realistic thoughts. great..
ReplyDeleteआशा का संचार करती सार्थक पंक्तियाँ।🙏👌
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