Thursday, 16 September 2021

तुमसे प्रेम करते हुए-(१)



आज भी याद है मुझे
तुम्हारे एहसास की वो
पहली छुअन
दिल की घबरायी धड़कन
सरककर पेट में 
तितलियां बनकर
उड़ने लगी थी,
देह की थरथराती धमनियों में
वेग से उछलती
धुकधुकी के स्थान पर
आ बैठी थी 
नन्ही-सी बुलबुल
बेघर कर संयत धड़कनों को
अपना घोंसला
अधिकारपूर्वक बनाकर
तुम्हारे मन का प्रेम गीत 
गुनगुनाती हुई
किया था दुनिया से बेख़बर... 
उस स्वर की अकुलाहट से बींधकर
मन से फूटकर नमी फैल गयी थी
रोम-रोम में
जिसके 
एहसास की नम माटी में
अँखुआये थे 
अबतक तरोताज़ा हैं
साँसों में घुले
प्रेम के सुगंधित फूल ।

#श्वेता सिन्हा




 

16 comments:

  1. श्वेता जी नमस्कार...। आपकी बहुत ही अच्छी रचना है। बधाई। बेहतर समझें तो इसे हमारी पत्रिका प्रकृति दर्शन के अगले अंक में आप प्रेषित कर सकती हैं...। ईमेल या व्हाटसऐप कीजिएगा। रचना के साथ संक्षिप्त परिचय और अपना एक फोटोग्राफ। बेहतर होगा 20 सितंबर के पहले प्रेषित कर दीजिएगा। आभार

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  2. प्रकृति दर्शन, पत्रिका
    website- www.prakritidarshan.com
    email- editorpd17@gmail.com
    mob/whatsapp- 8191903651

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  3. आपकी लेखनी तो स्वयं दूसरों की ऊर्जा है! सादर आभार और बधाई उस शब्द-सरिता के प्रवाह का-
    जिसके
    एहसास की नम माटी में
    अँखुआये थे
    अबतक तरोताज़ा हैं
    साँसों में घुले
    प्रेम के सुगंधित फूल ।

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  4. सारे एहसास समेट कर प्रेम पुष्प खिलाया है । बहुत सुंदर भाव ।

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  5. प्रथम प्रेम का स्पंदन कुछ ऐसा ही होता है । ताजी हवा-सी .... अति सुन्दर ।

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  6. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 17 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. एहसासों की वो पहली छुअन दिल की घबरायी धड़कन यादों के इस झरोखे में यों ही रहेंगे तरोताजा साँसों में घुले प्रेम के सुगंधित फूल हमेशा हमेशा....।
    वाह!!!!
    बहुत ही मनभावनी लाजवाब भावाभिव्यक्ति।

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  8. मन के भावों को व्यक्त करती बहूत ही सुंदर रचना, श्वेता दी।

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  9. एहसास की पहली छुअन के सुखद अहसास की भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय श्वेता। ये वो अनुभूति है, जो सदैव ताज़ी ही रहती है। सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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  10. प्रेम पर लिखे बहुत ही सुंदर सराहनीय एहसास श्वेता दी।
    मन मोह गया आपका सृजन।
    अगली कड़ी का इंतजार रहेगा।
    सादर स्नेह

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  11. मासूम से भाव! अनछुए मन को एहसास की छुअन वाह!
    बहुत बहुत सुंदर मनोहारी सृजन श्वेता बधाई।

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  12. प्रेम से ओतप्रोत बहुत ही प्यारी रचना!

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  13. आज भी याद है मुझे तुम्हारे एहसास की वो
    पहली छुअन...देह की थरथराती धमनियों में
    वेग से उछलती धुकधुकी के स्थान पर
    आ बैठी थी नन्ही-सी बुलबुल ।

    उस नाजुक पल के एहसास को जीवंत करती ।
    काश इस एक पल में ही पुरा जीवन सिमट जाता ।

    उस पल कि मन स्थिति को दर्शाती एक एक शब्द सत्य ।
    बहुत प्यारी रचना ।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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