आज भी याद है मुझे
तुम्हारे एहसास की वो
पहली छुअन
दिल की घबरायी धड़कन
सरककर पेट में
तितलियां बनकर
उड़ने लगी थी,
देह की थरथराती धमनियों में
वेग से उछलती
धुकधुकी के स्थान पर
आ बैठी थी
नन्ही-सी बुलबुल
बेघर कर संयत धड़कनों को
अपना घोंसला
अधिकारपूर्वक बनाकर
तुम्हारे मन का प्रेम गीत
गुनगुनाती हुई
किया था दुनिया से बेख़बर...
उस स्वर की अकुलाहट से बींधकर
मन से फूटकर नमी फैल गयी थी
रोम-रोम में
जिसके
एहसास की नम माटी में
अँखुआये थे
अबतक तरोताज़ा हैं
साँसों में घुले
प्रेम के सुगंधित फूल ।
#श्वेता सिन्हा
श्वेता जी नमस्कार...। आपकी बहुत ही अच्छी रचना है। बधाई। बेहतर समझें तो इसे हमारी पत्रिका प्रकृति दर्शन के अगले अंक में आप प्रेषित कर सकती हैं...। ईमेल या व्हाटसऐप कीजिएगा। रचना के साथ संक्षिप्त परिचय और अपना एक फोटोग्राफ। बेहतर होगा 20 सितंबर के पहले प्रेषित कर दीजिएगा। आभार
ReplyDeleteप्रकृति दर्शन, पत्रिका
ReplyDeletewebsite- www.prakritidarshan.com
email- editorpd17@gmail.com
mob/whatsapp- 8191903651
आपकी लेखनी तो स्वयं दूसरों की ऊर्जा है! सादर आभार और बधाई उस शब्द-सरिता के प्रवाह का-
ReplyDeleteजिसके
एहसास की नम माटी में
अँखुआये थे
अबतक तरोताज़ा हैं
साँसों में घुले
प्रेम के सुगंधित फूल ।
सुंदर कविता
ReplyDeleteसारे एहसास समेट कर प्रेम पुष्प खिलाया है । बहुत सुंदर भाव ।
ReplyDeleteप्रथम प्रेम का स्पंदन कुछ ऐसा ही होता है । ताजी हवा-सी .... अति सुन्दर ।
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteसुंदर कविता..
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 17 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteएहसासों की वो पहली छुअन दिल की घबरायी धड़कन यादों के इस झरोखे में यों ही रहेंगे तरोताजा साँसों में घुले प्रेम के सुगंधित फूल हमेशा हमेशा....।
ReplyDeleteवाह!!!!
बहुत ही मनभावनी लाजवाब भावाभिव्यक्ति।
मन के भावों को व्यक्त करती बहूत ही सुंदर रचना, श्वेता दी।
ReplyDeleteएहसास की पहली छुअन के सुखद अहसास की भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय श्वेता। ये वो अनुभूति है, जो सदैव ताज़ी ही रहती है। सुंदर रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
ReplyDeleteप्रेम पर लिखे बहुत ही सुंदर सराहनीय एहसास श्वेता दी।
ReplyDeleteमन मोह गया आपका सृजन।
अगली कड़ी का इंतजार रहेगा।
सादर स्नेह
मासूम से भाव! अनछुए मन को एहसास की छुअन वाह!
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर मनोहारी सृजन श्वेता बधाई।
प्रेम से ओतप्रोत बहुत ही प्यारी रचना!
ReplyDeleteआज भी याद है मुझे तुम्हारे एहसास की वो
ReplyDeleteपहली छुअन...देह की थरथराती धमनियों में
वेग से उछलती धुकधुकी के स्थान पर
आ बैठी थी नन्ही-सी बुलबुल ।
उस नाजुक पल के एहसास को जीवंत करती ।
काश इस एक पल में ही पुरा जीवन सिमट जाता ।
उस पल कि मन स्थिति को दर्शाती एक एक शब्द सत्य ।
बहुत प्यारी रचना ।