कर्तव्य, सद् आचरण,अहिंसा मानवता,दया,क्षमा सत्य, न्याय जैसे
'धारण करने योग्य' 'धर्म' का शाब्दिक अर्थ हिंदू या मुसलमान कैसे हो सकता है?
विभिन्न सम्प्रदायों के समूह, विचारधाराओं की विविधता संकीर्ण मानसिकता वाले शब्दार्थ से बदलकर मानव को मनुष्यता का पाठ भुलाकर स्व के वृत में घेरनेवाला 'धर्म' कैसे हो सकता है?
कोमल शाखाओं के पुल बनने की प्रक्रिया में संक्रमित होकर संवाद के विषाक्त जल में गलकर विवाद के दलदल में सहजता से बिच्छू बन जाना धर्म कैसे हो सकता है?
सभ्यता की विकास यात्रा में बर्बर होती संवेदना की अनदेखी कर उन्मादित शिलापट्टीय परंपरा वहन करना धर्म कैसे हो सकता है?
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(२) धर्म की परिभाषा गढ़ने की यात्रा में शताब्दियों से सींची जा रही रक्तपोषित नींव अभेद्य दीवार खड़ी कर चुकी है आदमी और आदमियत के मध्य। और... वाचाल कूपमंडूकों के एडियों से कुचलकर वध कर डाले गये मानवीय गुणों के शव एवं गर्दयुक्त दृष्टिकोण से प्रदूषित हो तिल-तिल मरती संभावनाओं की दुर्दशा पर धर्म स्तब्ध है!!